राज्यसभा से पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का कार्यकाल समाप्त हो जाने के बाद अब कांग्रेस एक बार फिर से उनकी उच्च सदन में वापसी चाहती है। इसके लिए कांग्रेस पार्टी अब हाथ-पैर मारना शुरू कर चुकी है और इसी के तहत वह गुजरात से खाली हुई 2 राज्यसभा सीटों में से किसी एक से अपने उम्मीदवार को सदन में भेजना चाहती थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट द्वारा अलग-अलग तारीखों पर चुनाव कराने पर रोक लगाने की मांग पर सुनवाई से इनकार किए जाने के बाद पार्टी मुश्किल में फंस गई। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चुनाव आयोग ने राज्यसभा चुनाव की प्रक्रिया शुरू कर दी है इसलिए हम इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकते हैं हालांकि कोर्ट ने कांग्रेस को चुनाव के बाद याचिका दाखिल करने की छूट दी है।
कांग्रेस पार्टी अपने दम पर तो डॉ. मनमोहन सिंह को राज्यसभा नहीं ला सकती लेकिन इसके लिए वह अपने सहयोगियों से लगातार संपर्क में जुटी हुई है। पार्टी को उस वक्त झटका लगा जब वह डीएमके से राज्यसभा के लिए एक सीट पर समर्थन मांगने के लिए पहुंची लेकिन डीएमके ने इससे साफ इनकार कर दिया। हालांकि इस दौरान मनमोहन सिंह के लिए सीट की चर्चा नहीं हुई बल्कि सिर्फ सहयोग मांगा गया। लोकसभा चुनाव के दरमियान डीएमके प्रमुख स्टालिन ने लगातार कांग्रेस पार्टी का समर्थन किया और राहुल गांधी को प्रधानमंत्री उम्मीदवार तक बताया लेकिन जब बात राज्यसभा के लिए समर्थन मांगने तक पहुंची तो डीएमके ने अपने लोगों के लिए इसे सुरक्षित रखा।
14 जून 2019 को राज्यसभा से सेवानिवृत हुए मनमोहन सिंह को उपराष्ट्रपति वेकैंया नायडू ने सम्मान के साथ विदाई दी और कहा कि उच्च सदन में हमेशा आपकी कमी खलती रहेगी। अब तक डॉ सिंह उच्च सदन में असम का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। आपको बता दें कि मनमोहन सिंह लगातार पांच बार (1991 से 2019 तक) उच्च सदन के सदस्य रहे। वह इस दौरान लगातार दो बार देश के प्रधानमंत्री रहे। इसके अलावा वह मार्च 1998 से मई 2004 के बीच राज्य सभा में विपक्ष के नेता रहे। वह 2004 से 2014 तक सदन के नेता भी रहे और पार्टी ऐसे में वरिष्ठ नेतृत्व को गंवाना नहीं चाहती है इसलिए वह लगातार उनको राज्यसभा लाए जाने के लिए प्रयास में जुटी हुई है। नाम न लिए जाने की शर्त पर कांग्रेस सूत्रों ने बताया कि मनमोहन सिंह इसके लिए तैयार नहीं हैं। यहां तक पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के आग्रह के बावजूद उन्होंने चंडीगढ़ से लोकसभा चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था लेकिन पार्टी उनको मनाने में लगी हुई है। क्योंकि ऐसा माना जा रहा है कि डॉ सिंह अगर उच्च सदन में वापसी करते हैं तो कांग्रेस को दिल्ली विधानसभा चुनाव में इसका लाभ मिल सकता है। फिलहाल जिन 6 खाली सीटों पर चुनाव होना है उनमें से उड़ीसा की 3, गुजरात की 2 और बिहार की 1 सीट है और इन सीटों के जरिए मनमोहन सिंह की वापसी लगभग नामुमकिन दिखाई दे रही है। लेकिन कहते हैं कि शिद्दत से किसी चीज का प्रयास करें तो उसका रास्ता निकल ही आता है। कांग्रेस पार्टी वरिष्ठजनों के बिना अधूरी नजर आती है और राहुल गांधी ने भी सीडब्ल्यूसी की बैठक में स्पष्ट कर दिया था कि पार्टी में कांग्रेस कार्यकर्ताओं की वजह से हैं न की गांधी परिवार की वजह से और इसको बनाने में हर किसी ने योगदान दिया है।
इसी बीच राजस्थान भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदनलाल सैनी के निधन के बाद से राज्यसभा की एक और सीट खाली हो गई है। हालांकि इस सीट पर चुनाव कब होगा इस बारे में अभी कोई भी जानकारी नहीं है। फिलहाल राजस्थान में कांग्रेस की सरकार है और वहां पर पार्टी के 99 विधायक हैं। अगर यहां से मनमोहन सिंह को राज्यसभा का उम्मीदवार बनाया जाता है तो वह आसानी से उच्च सदन पहुंच सकते हैं और सदन की गरिमा और प्रतिष्ठा में को बढ़ाने में एक बार फिर से अपना योगदान दे सकते हैं।