बचपन में हम सभी ने एक कहावत सुनी होगी 'time is precious' यानि की समय मूल्यवान होता है। इस समय की कीमत को जो लोग समझ गए वही अपने कर्तव्य पथ पर गलिशील होकर चल पाते हैं। मगर इस बात को बहुत कम लोग ही अपने जीवन में उतार पाने में कामयाब हो पाते है। दैनिक जीवन में आपको हर क्षण लेटलतीफी देखने को मिलती है जो बाद में नुकसानदायक साबित होती है। मंत्री, सरकारी कर्मचारी और सरकारी काम के लिए तो कहा ही जाता है कि यह तीनों समय पर नहीं हो सकते हैं। शादय इस बात को प्रधानमंत्री ने भी महसूस किया और तभी पिछले दिनों उन्होंने मंत्रिपरिषद की बैठक में सभी से कहा कि वे समय पर दफ्तर पहुंचें, घर से काम करने से बचें और लोगों के लिए उदाहरण पेश करें। उन्होंने अधिकारियों को भी यह हिदायत दी है। समय पर दफ्तर पहुंचने पर जोर देते हुए मोदी ने कहा कि सभी मंत्री वक्त पर दफ्तर पहुंचें और कुछ मिनट निकालकर अधिकारियों के साथ मंत्रालय के कामकाज की जानकारी लें। प्रधानमंत्री के इस बात को उनके मंत्रियों ने गंभीरता से लेते हुए इसका पालन करना शुरू कर दिया है। गृह मंत्री अमित शाह ने इसकी शुरूआत तो पहले दिन से ही कर दी थी और वह सुबह 9 बजे नार्थ ब्लॉक के अपने कार्यालय पहुंच जाते हैं और देर शाम तक वहां रहते हैं। वहीं केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने यह सुनिश्चित करने के लिए अपनी सार्वजनिक बैठकों में फेरबदल किया है कि वह सुबह 9.30 बजे कार्यालय पहुंच जाए। पहले वह अपने कार्यालय आने से पहले अपने आवास पर सुबह 10 बजे तक आम जनता से मिलते थे। उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान भी समय पर कार्यालय पहुंच रहे हैं और सबसे पहले वह अपने प्रमुख सचिवों के साथ दैनिक बैठकें करते हैं। पासवान ने अपने विभाग को अपने कमरे में एक बड़ी स्क्रीन वाला डैशबोर्ड लगाने का निर्देश भी दिया है जो एक क्लिक पर सबसे अद्यतन जानकारी देगा। उधर जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत अपने जूनियर मंत्री के साथ कार्यभार संभालने के बाद से सुबह 9.30 में दफ्तर पहुंचने की शुरुआत कर दी है। पहली बार मंत्री बने अर्जुन मुंडा (आदिवासी मामले) समय पर कार्यालय पहुँच रहे हैं और अपने कर्मचारियों के साथ लगातार बैठके कर रहे हैं। वह योजनाओं की समीक्षा करने के साथ-साथ 100 दिन के रोड मैप पर काम कर रहे हैं। बता दें कि सुस्त पड़ती अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने और रोजगार सृजन को ध्यान में रखते हुए सरकार के 100 दिन के एजेंडा को अंतिम रूप देने पर जोर दिया गया। मोदी ने अपने स्वयं के उदाहरण का हवाला दिया था कि जब वह गुजरात के सीएम थे तो नौकरशाहों के पहुंचने से पहले वे कार्यालय कैसे पहुंच जाते थे। तब से, सभी वरिष्ठ मंत्रियों ने अपने काम का एक बड़ा हिस्सा अपने अधिकारियों या जूनियर मंत्रियों को दिया है ताकि वे सीखें कि सरकार कैसे काम करती है और खुद को अपेक्षित ना महसूस करे। सभी फाइलों को अब जूनियर मंत्रियों के माध्यम से रूट करना होगा जो उन्हें पर्याप्त काम देगा और उन शिकायतों की जांच करने में मदद करेगा जो उनके किसी बड़े आधिकारिक काम से वंचित हो रही थीं। किसानों की आय दोगुना करने, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, प्रधानमंत्री आवास योजना, सबको पेयजल, सबको बिजली समेत प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी परियोजनाओं को समय पर पूरा करने के लिए भी अधिकारियों को भी निर्देश दिए गए हैं। कुल मिलाकर मोदी ने अपने शुरुआती दिन में ही यह साफ कर दिया है कि लटकाने, भटकाने वाला रवैया अब नहीं चलेगा। पिछली बार की तुलना में मोदी इस बार ज्यादा आत्मविश्वास से भरे नजर आ रहे हैं। अपने निर्णयों के अमली जामा पहनाने में लग गए है। ऐसे में यह देखना बेहद दिलचस्प होगा कि मोदी अपने मंत्रियों और अधिकारियों को समय का पाबंद बना पाने में कितने सफल हो पाते हैं।
मोदी के मंत्री हुए समय के पाबंद, 9:30 तक पहुंच जाते हैं दफ्तर