कौनसी है वह 'संजीवनी बूटी' जिसका जिक्र पीएम मोदी ने अपने भाषण में किया


नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्र के नाम संबोधन दिया। इस संबोधन में उन्होंने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के विकास की बात कही, वहीं उन्होंने 'सोलो संजीवनी' नाम एक पौधे का जिक्र भी किया।


4000 से 14000 फुट की ऊंचाई पर उगने वाले इस पौधे के फलों के चमत्कारिक गुणों के कारण यह 'संजीवनी बूटी' के समान समान माना जाता है। लेह बेरी ज्यूस में आंवले से ज्यादा विटामिन सी और भरपूर मात्रा में एंटी-ऑक्सीडेंट होता है।

 

लेह में इस पौधे को 'गोल्ड माइन' और 'लेह बेरी' के नाम से पहचाना जाता है। इस पौधे के फल लेह बेरी से ज्यूस, कैप्सूल, चाय तैयार की जाती है, जो हार्ट और डायबिटीज के मरीजों के काफी फायदेमंद माना जाता है।

 

एंटी आक्सीडेंट तथा तमाम विटामिनों से भरपूर यह फल बढ़ती उम्र के प्रभाव को रोककर खून की कमी को दूर करने में मददगार है। इसके अलावा यह ग्लेशियर को पिघलने से रोकने, तथा भू-क्षरण रोकने में भी सहायक है जिससे यह जलवायु परिवर्तन के खतरे में भी मददगार रहता है।

 

डिफेंस रिसर्च एंड डेवपलमेंट ऑर्गेनाइजेशन (DRDO)अंतरराष्ट्रीय संस्था इंटरनेशनल सेंटर फार इंटिग्रेटेड माउंटेन डेवलपमेंट के साथ मिलकर इस पौधे को बड़ी संख्‍या में उगाने के लिए काम कर रहा है।

 

पिछले साल लेह-लद्दाख के 12,000 हेक्‍टेयर क्षेत्र में सोलो पौधे लगाए गए थे। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इस क्षेत्र में पैदा होने वाली जड़ी-बूटियों के देश-विदेश में प्रसार-प्रचार पर काम किया जाएगा।

 

अगर ऐसा होता है तो सोलो पौधों की खेती से लेह-लद्दाख के लोगों के लिए रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। इससे लोग यहां से बाहर नहीं जाएंगे। इस फल का प्रसंस्करण करके जूस, चाय और पौष्टिक खाद्य पदार्थों की बिक्री के जरिए स्थानीय लोगों की आय भी बढ़ेगी। अंतराष्ट्रीय बाजार में इसकी काफी मांग बताई जाती है।