भोपाल. वासुदेव श्रीकृष्ण को पिता, सखी और गुरु से मिले उपहार उनके व्यक्तित्व से जुड़ते गए। 13 की उम्र तक उन्हें ऐसी 6 चीजें मिल चुकी थीं। इनमें से कुछ मामूली थीं, पर कृष्ण ने इन्हें अंत तक अपने पास रखा।
- बांसुरी : नंदबाबा ने गोकुल में कृष्ण को बांसुरी दी। तब कृष्ण तीन-चार साल के थे। यह उनका सबसे प्यारा खिलौना बन गया। यही बांसुरी कृष्ण की जीवनभर की संगनी बनी।
- वैजयंती माला : कृष्ण ने जब पहली बार रासलीला खेली थी, तब राधा ने उन्हें वैजयंती माला पहनाई थी। उम्र आठ-दस साल थी। वैजयंती माला यानी -'विजय दिलाने वाली माला।
- मोरपंख : कृष्ण आठ-दस साल के थे तो रासलीला के लिए वृंदावन गए। यहीं पहली बार राधा ने मुकुट पर मोरपंख लगाया था। कृष्ण ने स्त्री के इस सृजन को हमेशा के लिए मस्तक पर जगह दी।
- अजितंजय धनुष, पांचजन्य शंख तब कृष्ण 11-12 साल के थे। उज्जैन में गुरु सांदीपनि के आश्रम में पढ़ रहे थे। गुरु पुत्र दत्त का शंखासुर ने अपहरण कर लिया। कृष्ण उसे बचाकर लाए तो गुरु ने उन्हें अजितंजय धनुष भेंट किया। शंखासुर वध से कृष्ण को शंख मिला, जिसे सांदीपनि ने पांचजन्य नाम दिया।
- सुदर्शन चक्र : कृष्ण 12-13 साल थे, तब परशुराम से मिलने उनकी जन्मस्थली जानापाव (इंदौर) गए थे। वहां परशुराम ने कृष्ण को उपहार में सुदर्शन चक्र दिया। शिव ने यह चक्र त्रिपुरासुर वध के लिए बनाया था और विष्णु को दे दिया था। कृष्ण के पास आने के बाद यह उनके पास ही रहा।