प्रभास की हालिया रिलीज फिल्म 'साहो' बॉक्स ऑफिस पर अब तक अच्छा प्रदर्शन कर रही है। बाहुबली के बाद प्रभास अब हिंदी भाषी क्षेत्र में भी अपनी पहचान बनाने में सफल हो गए हैं और फिल्म के हिंदी वर्जन ने मात्र 5 दिनों में सौ करोड़ से ज्यादा का कलेक्शन कर लिया है। पेश है प्रभास से बातचीत।
अब हिंदी फ़िल्मों में और भी दिखाई देंगे आप?
निर्भर करता है कि मेरे पास कैसी स्क्रिप्ट्स आती हैं। तमिल और तेलुगु तो करता ही हूं। हिंदी भी कर रहा हूं। मलयालम सिनेमा करना है। इसके अलावा भी कुछ और रीजनल सिनेमा है जिसके बारे में सोच रहा हूं।
आपको लगता है कि बाहुबली के बाद दक्षिण और हिंदी फ़िल्मों में दूरी कम हुई है?
हां, दूरी कम हुई है। लेकिन दक्षिण में तो पहले भी हिंदी फ़िल्में पसंद की जाती रही हैं। मेरी माँ विजयवाडा के करीब बसे गन्नावरम नाम के छोटे से शहर से हैं। वहां पर 'मैंने प्यार किया' लगातार 100 से भी ज्यादा दिनों तक चली थी। मेरे नानाजी को ये फिल्म बहुत पसंद थी और वे सलमान खान के फैन बन गए थे। मुझे हमेशा से ये लगता रहा है कि मेरे घरवाले मुझे ऐसी फ़िल्मों में देखना चाहते हैं जिसकी पहुंच देश के कई हिस्सों तक हो।
आपने एक बार कहा था कि 'बाहुबली' के बाद आप ऐसी फिल्म करेंगे जो जल्दी पूरी हो जाए।
हां, लेकिन 'साहो' ने भी बहुत समय ले लिया। मैंने सोचा था कि 'बाहुबली' ऐसी फिल्म थी जिसमें काफी समय लग गया और 'साहो तो एक साल में खत्म हो जाएगी, लेकिन हमारे एक एक्शन सीक्वेंस को ही फिल्माने में आठ महीने लग गए। इसमें लगभग 70 करोड़ रुपये लगे। 50 लोग हॉलीवुड से आए थे इस एक्शन सीन के लिए। हमारी शूट आबुधाबी में हुई थी। वहां बहुत सारा सामान और गाड़ियां लगी थीं। ऐसा लगता था जैसे हमने वहां कोई फैक्ट्री खोल ली है।