भोपाल. हज़रत इमाम हुसैन की याद में मोहर्रम के यौम-ए-आशूरा पर शहर में परम्परागत जुलूस निकाला गया, जिसमें बंदों ने शामिल होकर नेकी, सच्चाई, ईमानदारी के रास्ते पर चलने का संकल्प लिया।
जुलूस में आगे-आगे परचम-ए-इस्लाम, अलम-ए-मुबारक तथा मातमी जत्थे मरसिए पढ़ते हुए चल रहे थे। उनके पीछे छोटे-बड़े ताजिये, सवारियां, अखाड़े, नगाड़े, ढ़ोल, ताशे भी प्रमुख रूप से शामिल हुए। प्रमुख चौराहों पर उलेमाओं की मजहबी तकरीरें भी हुई। उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, राजस्थान, गुजरात से आए उलेमाओं ने तकरीरें कर हजरत इमाम हुसैन की पवित्र जीवनी पर प्रकाश डालकर शहीदाने कर्बला के सिद्धांतों का अनुसरण करने का आव्हान किया। प्राचीन कर्बला मैदान पर लंगर-ए-आम हुआ तथा चौराहों पर शर्बत और तवर्रुक बांटा गया। कर्बला मैदान पर स्थित प्राचीन ताजियागाह शिरीन नदी में दफन किए गए।
ऑल इंडिया मुस्लिम त्यौहार कमेटी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. औसाफ़ शाहमीरी खुर्रम ने अपनी तकरीर में कहा कि दुनिया वालों को हजरत इमाम हुसैन ने इंसानियत, प्रेम एवं एकता का सबक दिया है। जुलूस में अंतर्राष्ट्रीय शायर मंजर भोपाली के अलावा अजमेर के सूफी आमिर अली रिज़वी चिश्ती, मशहूर ओलिंपियन जलालउद्दीन रिज़वी, अहले सुन्नत वल जमाअत के अध्यक्ष सूफी नूरूद्दीन सकलैनी, मशहूर रंगकर्मी निज़ाम पटेल सहित अनेक सामाजिक, साहित्यिक, राजनैतिक मशहूर हस्तियों ने मोहर्रम के कार्यक्रमों तथा जुलूस में शमिल हुए।