जम्मू कश्मीर में क्या है 'काली भेड़' का राज, क्यों चल रही है मुहिम...


जम्मू। जम्मू कश्मीर पुलिस के डीएसपी रैंक के अधिकारी देविंदर सिंह की आतंकियों के साथ हुई गिरफ्तारी के बाद कश्मीर में तैनात केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल ने अपने जवानों और अधिकारियों की ‘जांच’ की मुहिम छेड़ दी है ताकि वे फोर्स में किसी आशंकित 'काली भेड़ों' को निकाल बाहर कर सकें।


जम्मू कश्मीर पुलिस ने ऐसा अभी तक कुछ भी नहीं किया है। जहां तक कि जिन स्थानों पर देविंद्र सिंह तैनात रहा है वहां के पुलिसकर्मियों को भी नहीं बदला गया है और न ही किसी जांच का आदेश दिया गया है।
दो दिन पहले केरिपुब के महानिदेशक एपी माहेश्वरी ने इसकी पुष्टि की थी कि उन्होंने जम्मू कश्मीर पुलिस के डीएसपी देविंदर सिंह की गिरफ्तारी से सबक लेते हुए केरिपुब के 3 लाख के करीब जवानों व अधिकारियों का मेगा ऑडिट करवाया गया है। हालांकि उनका कहना था कि जवानों व अधिकारियों की नीयत के प्रति उन्हें कोई शक नहीं था। पर यह एक सामान्य प्रक्रिया है क्योंकि यह शंका को दूर करने के लिए बहुत जरूरी था।



हालांकि जम्मू-कश्मीर पुलिस अभी तक इसको लेकर कोई फैसला नहीं कर पाई है। जबकि सच्चाई यह है कि देविंदर सिंह के मामले से पहले भी 30 सालों के आतंकवाद के इतिहास में बीसियों ऐसे मामले सामने आ चुके हैं जिनमें पुलिस-आतंकी गठजोड़ का पर्दाफाश हो चुका है।



एक वरिष्ठ खुफिया अधिकारी के मुताबिक, ऐसा फैसला गृह मंत्रालय द्वारा लिया जाना है क्योंकि अब पुलिस की सारी कमान उपराज्यपाल के सलाहकार राजीव राय भटनागर के पास है। सूत्रों के मुताबिक, इतना जरूर था कि अभी भी जम्मू कश्मीर पुलिस में कई ऐसी काली भेड़ें कथित तौर पर शामिल हैं, जो आतंकियों का साथ दे रही हैं और उनका पर्दाफाश किया जाना बहुत जरूरी है।



देविंदर सिंह की गिफ्तारी के बाद उन स्थानों का भी फिलहाल सुरक्षा ऑडिट नहीं किया है, जहां वह अपनी नौकरी के दौरान तैनात रहा है। जानकारी के लिए देविंद्र सिंह का सेवा काल पूरी तरह से ही विवादों और शंकाओं के बीच घिरा रहा है। यही कारण था कि श्रीनगर एयरपोर्ट की सुरक्षा को अब सीआईएसएफ के हवाले करने का फैसला किया गया है क्योंकि जब देविंदर सिंह पकड़ा गया तो वह इसी एयरपोर्ट पर एंटी हाईजैकिंग विंग का मुखिया था।