बिहार में चुनावी साल में चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने अब राजनीति की राह पकड़ ली है। विधानसभा चुनाव से ठीक पहले प्रशांत किशोर ने अपना ट्रंप कार्ड चलते हुए एक करोड़ युवाओं को अपने से जोड़ने के लिए ‘बात बिहार की’ के नाम से बड़ा कैंपेन चलाने का एलान कर दिया है। हलांकि प्रशांत किशोर ने प्रेस कॉफेंस में अपनी आगे की रणनीति के बार में कुछ साफ तौर पर नहीं कहा लेकिन कहा कि चुनाव लड़ेंगे या नहीं वो बात बिहार की के कार्यक्रम के 100 दिन के बाद तय होगा। प्रशांत किशोर ने कहा कि ‘बात बिहार की’ तहत 20 मार्च तक 10 लाख युवाओं को इससे जोड़ने का लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि अब तक इस कैंपेन में अब तक तीन लाख युवा जुड़ चुके है जिसमें तीस प्रतिशत से ज्यादा भाजपा के एक्टिव वर्कर के साथ सभी पार्टी से जुड़े लोग शामिल है। प्रशांत किशोर ने कहा कि अभियान के तरह जिलों-जिलों और पंचायत –पंचायत में युवाओं से संपर्क कर उनको जोड़ा जाएगा। मीडिया से बात करते हुए प्रशांत किशोर ने पार्टी के एलान को लेकर कोई सीधा जवाब नहीं दिया। उन्होंने कहा कि ‘बात बिहार की’ कार्यक्रम के तहत अगले 100 दिनों तक वह लोगों तक पहुंचेंगे। नीतीश कुमार ने कहा कि वो किसी पार्टी या गठबंधन के साथ खड़े नहीं है और ना ही इस वक्त किसी पार्टी के साथ खड़े नहीं है। जून के बाद पार्टी पर खोलेंगे पत्ते – चुनावी साल में बड़ा कैंपेन लांच करने वाले प्रशांत किशोर ने कहा कि अभी उन्होंने बिहार विधानसभा चुनाव लड़ने या पार्टी बनाने के बारे में नहीं सोचा है लेकिन जून के बाद बात बिहार की कार्यक्रम के जरिए एक करोड़ लोगों को जोड़ने के बाद वह कुछ तय करेंगे। उन्होंने कहा कि वो चुनाव को देखकर कोई प्लान नहीं कर रहे है उनका लक्ष्य ऐसे युवाओं को जोड़ना है जो अगले 10 साल में बिहार की तस्वीर बदलने में अपना योगदान कर सके। वह कहते हैं कि बिहार को जो भी युवा बिहार के विकास में योगदान करना चाहता है वो उनके साथ खड़े है। प्रशांत किशोर ने कहा कि उनका लक्ष्य किसी को जीतना या हारना नहीं है। नीतीश को चुनौती – चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को विकास के मुद्दें पर खुली चुनौती दे डाली। प्रशांत किशोर ने कहा कि उनका लक्ष्य अगले 10 साल में बिहार को देश के 10 अग्रणी राज्यों में शामिल करना है। उन्होंने कहा कि अभी बिहार देश में 22 वां राज्य है और नीतीश कुमार ने अपने शासन काल में इस को नजरअंदाज किया।


नई दिल्ली। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई 26/11 मुंबई हमले को हिन्दू आतंकवाद का रूप देना चाहती थी। मुंबई में हमला करने आए 10 हमलावरों को हिन्दू साबित करने के लिए आईएसआई (ISI) ने फर्जी पहचान-पत्र भी भेजे थे। ये बड़े खुलासे पूर्व आईपीएस और मुंबई पुलिस कमिश्नर राकेश मारिया ने अपनी आत्मकथा 'लेट मी से इट नाऊ' में किए हैं। हमले के दौरान राकेश मारिया मुंबई पुलिस के कमिश्नर थे।
26 नवंबर 2008 को मुंबई में 10 आतंकियों ने 3 जगहों पर हमला किया था। इस हमले में 166 लोगों की मौत हो गई थी और सैकड़ों लोग घायल हुए थे। हमला करने वाले आतंकियों में अजमल कसाब ही जिंदा पकड़ा जा सका था। कसाब को 21 नवंबर 2012 को पुणे के यरवडा जेल में फांसी दे दी गई थी। हालांकि भारत के बार-बार सबूत दिखाने के बाद भी पाकिस्तान इस हमले से इंकार करता रहा।



राकेश मारिया ने अपनी किताब में लिखा है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई हमले को हिन्दू आतंकवाद का रूप देना चाहती थी और इसके लिए उसने पूरी तैयारी कर ली थी। हमले में एकमात्र जिंदा पकड़े गए आतंकवादी कसाब के पास ऐसा ही पहचान-पत्र मिला था जिस समीर चौधरी नाम लिखा हुआ था।



मारिया ने किताब में दावा किया कि मुंबई पुलिस चाहती थी कि कसाब की जानकारी मीडिया में न आए। आईएसआई और लश्कर ए तोइबा कसाब को मारने की योजना बना रहे थे। इतना ही नहीं, अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहीम की गैंग को कसाब को मारने की सुपारी दी गई थी।