दिल्ली चुनाव के जो नतीजे सामने आए हैं और इसमें जैसा प्रदर्शन कांग्रेस का रहा है साफ हो गया है कि उसे चुनाव लड़ना ही नहीं था वो सिर्फ इसलिए मैदान में थी ताकि भाजपा, आम आदमी पार्टी से हार सके। दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों में से 62 पर आम आदमी पार्टी और 8 सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की है। कांग्रेस की स्थिति गंभीर है और वो एक भी सीट हासिल करने में नाकाम रही। मतगणना के दौरान कई दिलचस्प तथ्य निकल कर सामने आए हैं जो बताते हैं कि ये आम आदमी पार्टी की नहीं बल्कि कांग्रेस के 'त्याग' की हैट्रिक है। यानी कांग्रेस ने जितने वोट गंवाए हैं, वो सब पिछले तीन चुनाव से आम आदमी पार्टी के खाते में गए हैं। अब जबकि केजरीवाल जीत गए हैं तो उन्हें सबसे पहले सोनिया गांधी से मिलने उनके घर जाना चाहिए और अप्रत्यक्ष मदद के लिए उन्हें फूलों का गुलदस्ता भेंट करते हुए धन्यवाद देना चाहिए। अगर केजरीवाल तीसरी बार सत्ता में आए हैं तो इसकी एक बड़ी वजह कांग्रेस की लापरवाही, ढ़ीलापन और दिल्ली चुनाव को हलके में लेना है। सवाल होगा कैसे? तो जवाब के लिए सबसे पहले हम वोट शेयर पर नजर डाल सकते हैं। पार्टीवार मिले वोटों का अनुपात। 2020 के इस दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का वोट शेयर 4.29 फीसदी है। जबकि 'आप' को 53.6 फीसदी वोट मिले और भाजपा का वोट शेयर 38.5 फीसदी रहा। वहीं जब 2015 के चुनाव को देखते हैं तब कांग्रेस का वोट शेयर 9.7 फीसदी था, जबकि आम आदमी पार्टी को 54.3 फीसदी और भाजपा को 32.3 फीसदी वोट मिले थे। इसी तरह अगर हम मत्रिमडल का विस्तार 2013 के विधानसभा चुनावों का जिक्र करें तो तब भाजपा का वोटिंग प्रतिशत जहां 33 प्रतिशत था तो वहीं आम आदमी ने 29.5 फीसदी मत हासिल किये थे। 2013 में कांग्रेस का वोटिंग परसेंटेज 24.6 फीसदी था। वो कांग्रेस जो 2013 में 24.6 फीसदी मत हासिल करती है।
कांग्रेस के 'त्याग' से 'आप की हैट्रिक