मध्य प्रदेश में एक बार फिर पुलिस कमिश्नर सिस्टम को लागू करने की मांग को लेकर आईपीएस एसोसिएशन लामबंद हो गया है। भोपाल में आईपीएस ऑफिसर्स मीट के शुभारंभ के मौके पर एसोसिएशन के अध्यक्ष विजय यादव ने मुख्यमंत्री कमलनाथ के सामने पुलिस कमिश्नर सिस्टम का लागू करने की बात रखी। उन्होंने कहा कि पुलिस को हर दिन नई चुनौती का सामना करना पड़ता है इसलिए मध्य प्रदेश में पुलिस कमिश्नर सिस्टम लाना जरुरी है।  एसोसिएशन की इस मांग पर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि उन्होंने पुलिस कमिश्नर सिस्टम के प्रस्ताव को अभी तक स्वीकार भी नहीं किया है तो खारिज भी नहीं किया है। ऑफिसर्स मीट को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि वो मानते है कि पुलिस के सामने कई स्तर चुनौतियां है इसलिए पुलिस के आधुनिकीकरण पर सरकार ध्यान देगी। वहीं मध्य प्रदेश के डीजीपी वीके सिंह ने कहा कि मध्य प्रदेश पुलिस हर चैलेंज से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है जब उनसे पुलिस कमिश्नर सिस्टम को लागू करने को सवाल पूछा गया तो उन्होंने कुछ भी साफ-साफ कहने से इंकार करते हुए कहा कि जब लागू होना होगा लागू हो जाएगा।  दिग्विजय सिंह ने किया समर्थन - वहीं पुलिस कमिश्नर सिस्टम को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि वो इसके पक्ष में है। उन्होंने कहा कि बड़े शहरों में कानून व्यवस्था पुलिस के सामने एक बड़ी चुनौती होती है इसलिए इन चीजों को डील करने के लिए सिंगल ऑथिरिटी हमेशा बेहतर होती है। दिग्विजय सिंह ने कहा पुलिस कमिश्नर सिस्टम आईएएस बनाम आईपीएस हो गया जो होना नहीं चाहिए, आईएएस और आईपीएस के दूसरे के पूरक है इसको समझना चाहिए।  सालों पुरानी हैं मांग - मध्य प्रदेश में पुलिस कमिश्नर सिस्टम को लागू करने की मांग सालों पुरानी है। प्रदेश दो बड़े जिलों भोपाल और इंदौर में पुलिस कमिश्नर सिस्टम को लागू करने के प्रस्ताव को कई बार गृह विभाग को भेजा जा चुका है लेकिन अब इस पर कोई आखिरी निर्णय नहीं हुआ है। पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के समय साल 2012 में शिवराज सिंह चौहान ने भोपाल और इंदौर में पुलिस कमिश्नर सिस्टम को लागू करने की बात कही थी लेकिन यह लागू नहीं हो सकता था। हाल में ही उत्तर प्रदेश के दो बड़े शहरों लखनभऊ और नोएडा में पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू होने के बाद एक बार मध्य प्रदेश में  इसको लेकर IPS एसोसिएशन लामबंद हो गया है। 


नई दिल्ली। मतदाता परिचय पत्र (Voter ID) को आधार कार्ड (Aadhaar Card) से जोड़ने के चुनाव आयोग के प्रस्ताव पर कानून मंत्रालय ने हरी झंडी दे दी है। इससे आपको आपको अपने आधार कार्ड को मतदाता परिचय पत्र (Voter ID) से लिंक करवाना होगा। इससे यह फायदा होगा कि फर्जी वोटिंग पर रोक लगेगी। आयोग का मानना है कि आधार कार्ड से वोटर आईडी को जोड़ने से डुप्लीकेट वोटर कार्ड के मामलों में कमी आएगी।


आयोग ने मंगलवार को बैठक में पेड न्यूज और चुनावी हलफनामे में गलत सूचना देने को अपराध बनाने का भी प्रस्ताव दिया। कानून मंत्रालय चुनाव प्रक्रिया में बदलाव की तैयारी में है। इससे मौजूदा तरीका भी बदल जाएगा। इसमें प्रवासी उस क्षेत्र में तब ही वोट कर सकता है, जब वह वहां हो। खबरों के अनुसार पेड न्यूज और गलत चुनावी हलफनामे सहित चुनाव सुधार जैसे मुद्दों पर आयोग की कानून मंत्रालय के साथ बैठक हुई।



मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा, चुनाव आयुक्त अशोक लवासा और सुशील चंद्रा ने कानून मंत्रालय के सचिव जी. नारायण राजू के साथ बैठक में वोटर आईडी कार्ड को आधार नंबर से जोड़ने पर भी चर्चा की।
आयोग ने कानून मंत्रालय को हालिया पत्र में जनप्रतिनिधि एक्ट में संशोधन का प्रस्ताव दिया था। इसमें वोटर आईडी कार्ड बनवाने और मतदाता सूची में पहले से शामिल लोगों से आधार नंबर मांगने का प्रावधान है।



खबरों के अनुसार कानून मंत्रालय ने प्रस्ताव को मंजूरी देते हुए आयोग से डेटा को मल्टीपल स्तर पर सुरक्षित करने के निर्देश दिए। चुनाव आयोग ने हाल में डेटा लीक को रोकने के लिए जरूरी कदमों की सूची बनाई है।



आयोग ने नए वोटरों के लिए मल्टीपल रजिस्ट्रेशन विकल्प देने की भी सिफारिश की है। फिलहाल इसके लिए रजिस्ट्रेशन की तारीख 1 जनवरी है। आयोग कई विकल्प चाहता है ताकि अधिक से अधिक लोग 18 साल की उम्र पूरा होने के बाद कभी भी वोटर कार्ड बनवा सकें।