वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सरकारी बीमा कंपनी जीवन बीमा निगम की हिस्सेदारी का बड़ा भाग बेचने का एलान कर सबको चौंका दिया है। उनकी इस घोषणा से कई सवाल खड़े हो गए हैं।
क्या मोदी सरकार आर्थिक सुधार के अगले चरण की शुरुआत कर रही है और इसके तहत वित्तीय क्षेत्र से अपने हाथ खींच रही है या केंद्र सरकार के पास पैसे नहीं हैं, राजकोषीय घाटा तमाम अनुमानों से कहीं ज़्यादा 3.80 प्रतिशत पँहुच रहा है और ऐसे में पैसे का जुगाड़ करने के लिए वह यह कदम उठा रही है
लेकिन इसके अलावा एक सवाल और है और अधिक महत्वपूर्ण है कि क्या सरकार अमेरिकी दवाब में आकर भारत के वित्तीय क्षेत्र को पहले से ज़्यादा उदार बना रही है
कहीं ऐसा तो नहीं कि यह भी ‘क्रोनी कैपिटलिज़म’ का हिस्सा हो और सरकार के नज़दीक के कुछ व्यावसायिक घरानों को लाभ पहुँचाने के लिए ऐसा किया जा रहा है