सीएए पर सरकार की नीति देश से गद्दारी के बराबर : महमूद मदनी


सहारनपुर (उप्र)। देश में मुसलमानों के सबसे बड़े सामाजिक संगठनों में शुमार जमीयत-उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने केंद्र सरकार पर नए नागरिकता कानून में धर्म के आधार पर भेदभाव कर संविधान के साथ “गद्दारी” करने का आरोप लगाया है। संगठन के महासचिव मौलाना मदनी ने सोमवार को सहारनपुर के गंगोह स्थित ईदगाह मैदान में सीएए और एनआरसी के विरुद्ध आयोजित विरोध प्रदर्शन को सम्बोधित करते हुए कहा कि सरकार ने नागरिकता कानून में धर्म के आधार पर भेदभाव करके संविधान के साथ “ग़द्दारी” की है। “सरकार गुरूरभरी भाषा” बोलने के बजाय खुद की समीक्षा करे और ये काला क़ानून वापस ले।” उन्होंने कहा, “सरकार यह याद रखे कि सत्ता हमेशा नहीं रहती। हो सकता है कि रात बड़ी हो लेकिन सवेरा जरूर होगा। हम यह चाहते हैं कि सरकार संभल जाए। ”मदनी ने भाजपा की तरफ इशारा करते हुए कहा, “आपकी सरकार ने देश की परंपरा और उसके संविधान का विरोध किया है। आपने देशद्रोह जैसा काम किया है। याद रखिए सत्ता का नशा कोई अच्छी बात नहीं है। आप लोगों के धैर्य की परीक्षा न लीजिए। यह न समझें कि लोग थक जाएंगे। याद रखें कि हमारे पूर्वजों ने सौ साल तक अंग्रेजों से लड़ाई लड़ी है।” उन्होंने कहा कि अगर हम आज लड़ रहे हैं तो अपने देश के गौरव और मूल्यों की सुरक्षा के लिए लड़ रहे हैं। मौलाना मदनी ने कहा कि देश की मौजूदा सरकार ने वैश्विक स्तर पर देश की साख और पहचान को नुकसान पहुंचाया है। स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार दुनिया में हमारे विरुद्ध प्रस्ताव पारित हो रहे हैं। मौलाना मदनी ने कहा, “हमारे पास मौका था, हम पाकिस्तान जा सकते थे लेकिन हमने इस देश को चुना। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कहते हैं कि यहां रुककर हमारे पूर्वजों ने कोई एहसान नहीं किया। हमने इस देश को चुनकर यह साबित कर दिया कि दूसरों की तुलना में यह मातृभूमि हमें ज्यादा प्यारी है।” मौलाना मदनी ने देश भर में चल रहे विरोध प्रदर्शनों की प्रशंसा की, विशेषकर महिलाओं के जमावड़े की यह कहते हुए तारीफ की कि महिलाएं बड़े हौसले के साथ जमी हैं। मगर ध्यान रखें कि उत्साह होना चाहिए लेकिन होश के साथ काम लेना चाहिए, क्योंकि एक मुसलमान सब कुछ हो सकता है, लेकिन ज़ालिम नहीं हो सकता।