सुप्रीम कोर्ट ने एडवोकेट हेगड़े को मध्यस्थ बनाया, प्रदर्शनकारियों से दूसरी जगह जाने पर बातचीत करेंगे

नई दिल्ली. शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ धरना दे रहे प्रदर्शनकारियों को हटाने की याचिकाओं पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस एसके कौल की बेंच ने सरकार से पूछा- क्या प्रदर्शनकारियों से बात कर उन्हें ऐसी जगह जाने के लिए कहा जा सकता है, जहां सड़कें जाम न हों। इसके बाद बेंच ने प्रदर्शनकारियों से बातचीत के लिए वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े को मध्यस्थ नियुक्त कर दिया। एडवोकेट साधना रामाकृष्णन इसमें उनकी मदद करेंगी।


अपडेट:



  • याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि प्रदर्शन में काफी कड़े शब्द इस्तेमाल किए जा रहे हैं। इस पर जस्टिस कौल ने कहा कि ट्विटर और सोशल मीडिया के जमाने में समाज का हर तबका सीमाएं लांघ रहा है। प्रदर्शन में संतुलन जरूरी है, वरना अराजकता की स्थिति खड़ी हो सकती है।

  • शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों की तरफ से पेश हुए वकील ने कहा कि स्कूल बसों और एंबुलेंसों के लिए रास्ता खुला है। हालांकि, साॅलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बीच में ही टोकते हुए कहा कि रास्ता पूरी तरह से जाम है।

  • सॉलिसिटर जनरल ने कहा, “हमें प्रदर्शनकारियों से बात करने के लिए जिम्मेदार प्रतिनिधि की जरूरत है। समस्या यह है कि प्रदर्शनकारी महिलाओं और बच्चों को आगे रखते हैं। हमने पहले भी कई बार बैठक करने की कोशिश की। लेकिन, ये लोग प्रदर्शन के बहाने एक पूरे शहर को बंदी नहीं बना सकते।”

  • उन्होंने कहा, “बाहर ऐसा संदेश नहीं जाना चाहिए कि पूरी व्यवस्था उनके (शाहीन बाग के प्रदर्शनकारी) सामने झुक रहा है, उनके सामने घुटने टेक रहा है।”

  • बेंच में शामिल दोनों जजों ने सीनियर एडवोकेट संजय हेगड़े से कहा कि वह शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए बातचीत में मध्यस्थ की भूमिका निभाएं। बेंच ने यह भी आदेश दिया कि एडवोकेट हेगड़े प्रदर्शनकारियों से बातचीत में मदद भी मांग सकते हैं।

  • जस्टिस कौल ने कहा कि एडवोकेट साधना रामाकृष्णन प्रदर्शनकारियों से बातचीत में हेगड़े की मददगार हो सकती हैं। हम सिर्फ यह चाहते हैं कि आप प्रदर्शन की वैकल्पिक जगह खोजें, जहां सड़कें ब्लाॅक न हों।

  • इस पर एसजी मेहता ने कहा, “हम आपका आदेश मानेंगे, लेकिन यह प्रदर्शनकारियों पर निर्भर करता है कि वे इस पर चर्चा करके हमें जानकारी दें। हम उन्हें राय दे सकते हैं लेकिन ऐसा न हो कि प्रदर्शनकारी कहें कि सरकार हमें प्रदर्शन के लिए वैकल्पिक जगह नहीं दे रही, इसलिए हम यहीं प्रदर्शन जारी रखेंगे।”


कोर्ट ने पिछली सुनवाई में कहा था- अनिश्चितकाल के लिए सड़क बंद नहीं हो सकती


दिल्ली चुनाव के मद्देनजर कोर्ट ने इस मामले में तुरंत कोई आदेश जारी करने से इनकार कर दिया था। हालांकि, कोर्ट ने टिप्पणी की थी कि प्रदर्शन लंबे वक्त से जारी है, इसके लिए आम रास्ते को अनिश्चितकाल के लिए कैसे बंद कर सकते हैं। लोगों को आंदोलन करने का अधिकार है, लेकिन इससे किसी को परेशानी नहीं होनी चाहिए।


दूसरे पक्ष को सुने बिना कोई आदेश नहीं जारी कर सकते: सुप्रीम कोर्ट
कोर्ट ने कहा था कि प्रदर्शन निर्धारित स्थान पर ही किया जाना चाहिए। इस मामले में दूसरे पक्ष को सुनना भी जरूरी है। इसलिए तुरंत कोई आदेश जारी नहीं करेंगे। कोर्ट ने इस मामले में भी केंद्र और दिल्ली सरकार के साथ दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया था।


प्रदर्शन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 3 याचिकाएं
दिल्ली के शाहीन बाग में पिछले 50 दिनों से सीएए और एनआरसी के विरोध में प्रदर्शन हो रहा है। इसके चलते वहां मुख्य सड़क पर आवाजाही बंद है। इलाके का ट्रैफिक डाइवर्ट किए जाने से लोगों को हो रही परेशानी के खिलाफ वकील अमित साहनी और भाजपा नेता नंदकिशोर गर्ग ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। वहीं, प्रदर्शन के दौरान 4 माह के बच्चे की मौत पर बहादुरी पुरस्कार प्राप्त छात्रा जेन गुणरत्न सदावर्ते ने सुप्रीम कोर्ट को चिट्ठी लिखी थी। कोर्ट ने इस पर स्वत: संज्ञान लिया है। 


शाहीन बाग में पिछले दो महीने से धरना चल रहा
दिल्ली में सीएए और एनआरसी के खिलाफ शाहीन बाग इलाके में 15 दिसंबर से महिलाओं और बच्चों समेत सैकड़ों लोग धरने पर बैठे हैं। 2 फरवरी को पहली बार शाहीन बाग के धरनों के विरोध में स्थानीय लोगों ने प्रदर्शन किए। इनकी मांग थी कि धरने पर बैठे लोगों ने नोएडा और कालिंदी कुंज को जोड़ने वाली सड़क पर कब्जा कर रखा है। इसकी वजह से लोगों को आने-जाने में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है।