अब गठबंधन के पक्ष-विपक्ष में समर्थन जुटाने की होड़


नई दिल्ली : आम आदमी पार्टी (आप) और कांग्रेस के बीच गठबंधन को लेकर सोमवार को राहुल गांधी के आवास पर दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के नेताओं के बीच जो हुआ, वह पहले ही सामने आ चुका है। प्रदेश प्रभारी पीसी चाको और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष की जोड़ी वर्तमान अध्यक्ष शीला दीक्षित एंड कम्पनी पर भारी पड़ गई। भारी पड़ने की वजह भी साफ थी कि दो पूर्व अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा और अरविंदर सिंह लवली गठबंधन के समर्थन में आ गए।


इससे पहले पीसी चाको ने प्रदेश के 14 में से 12 जिलाध्यक्षों और तीन निगम के नेताओं को अपने फेवर में कर चुके थे। गुटबाजी में पीसी चाको का पड़ला भारी देख शीला गुट के नेता तिलमिला गए हैं। अब शीला गुट के नेताओं को लगने लगा ​कि शतरंज की जो चाल पीसी चाको ने चल दी है, उसकी काट करना जरूरी है। इसके लिए अब शीला गुट के नेता भी गठबंधन के खिलाफ समर्थन जुटाने की कोशिश में लग गए हैं, लेकिन लगता है कि अब बहुत देर हो चुकी है। ​


प्रदेश कांग्रेस में जिन नेताओं या जिलाध्यक्षों ने अपना समर्थन गठबंधन के समर्थन में दे दिया है वह वह पीछे मुड़ने के लिए तैयार नहीं है। मंगलवार को ऐसा ही कुछ प्रदेश कार्यालय में हुआ है। लोकसभा चुनाव को लेकर प्रदेश कांग्रेस अपनी रणनीति तैयार करने में लगा है। लेकिन इसके लिए होनी वाली बैठकों में रणनीति पर चर्चा कम गठबंधन पर हंगामा ज्यादा हो रहा है। मंगलवार को प्रदेश कार्यालय में जिलाध्यक्षों के साथ बैठक में यही हुआ।


बैठक तो चुनावी प्रचार की रणनीति के लिए बुलाई गई थी लेकिन मामला गठबंधन पर शुरू हो गया। इस बैठक की अध्यक्षता प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष राजेश लिलोठिया कर रहे थे। इसमें उत्तरी दिल्ली नगर निगम के अन्तर्गत आने वाले पांच जिला कांग्रेस कमेटियों आदर्श नगर जिला, चांदनी चौक जिला, रोहिणी जिला, किराड़ी जिला और करोल बाग जिला कांग्रेस कमेटी की बैठकें हुईं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस बैठक में तमाम दिशा-निर्देशों के बीच एक संकल्प पत्र (प्रस्ताव) भी जिलाध्यक्ष के सामने रख दिया गया। इस संकल्प पत्र में गठबंधन के खिलाफ अपना मत प्रकट करने के लिए दवाब बनाया गया था।


जबकि ये जिलाध्यक्ष पहले ही गठबंधन के समर्थन में अपना मत दे चुके हैं। अपने मत को पटलने से इन जिलाध्यक्षों ने साफ मना कर दिया। सूत्रों का कहना है कि इस मुद्दे को लेकर लिलोठिया और एक जिलाध्यक्ष के बीच जमकर तकरार हुई। जिलाध्यक्ष ने अपने मत को पलटने से साफ इंकार कर दिया। जिलाध्यक्ष का कहना था कि जब पहले ही यह कहा चुका है कि राहुल गांधी गठबंधन को लेकर जो भी फैसला करेंगे वह सभी मंजूर होगा, फिर ऐसी स्थिति में इस संकल्प पत्र की क्या जरूरत है? सूत्रों का कहना है कि चुनावी रणनीति के लिए बुलाई गई बैठक का पूरा माहौल गरम हो चुका था।