भारतीय लोकतंत्र में युवाओं की बढ़ती भूमिका, राहुल गांधी भी है पसंद!

इस बार के आम चुनाव पिछले तमाम चुनावों के मुकाबले कहीं ज्यादा जटिल होंगे। इसकी कई ठोस वजहें हैं। इस बार करीब डेढ़ करोड़ ऐसे नए मतदाता होंगे जो पहली बार अपने मत का इस्तेमाल करेंगे। ये विशुद्ध रूप से 21वीं सदी में पैदा हुए मतदाता हैं, क्योंकि इन्होंने हाल ही में अपनी उम्र के 18 बसंत पूरे किए हैं।


वर्ष 2014 के बाद जिन भारतीयों ने मतदाता सूची में अपना नाम दर्ज कराया है, उनकी संख्या 7.43 करोड़ है। ये भी पहली बार किसी आम चुनाव का हिस्सा बनेंगे। हालांकि ये पहली बार मतदान नहीं करेंगे। पिछले पांच सालों में इनमें से ज्यादातर ने कहीं न कहीं, कभी न कभी अपने मत का कम से कम एक बार तो इस्तेमाल किया ही है।


चाहे वह फिर किसी विधानसभा चुनाव में किया हो, किसी उपचुनाव में किया हो या फिर नगर निगम या दूसरी लोकल बॉडी के चुनावों में किया हो। मगर ये तमाम मतदाता आम चुनाव में पहली बार ही वोट डालेंगे।


इस तरह देखें तो महज डेढ़ करोड़ नहीं, बल्कि करीब नौ करोड़ ऐसे मतदाता हैं जो आम चुनावों के लिए बिल्कुल नए हैं, क्योंकि ये पहली बार लोकसभा चुनाव में शिरकत करेंगे। वैसे 90 करोड़ से ज्यादा मतदाताओं में से ये नौ करोड़ मतदाता बहुत ज्यादा नहीं होते, बल्कि देश की कुल मतदाता संख्या के 10 प्रतिशत ही हैं। 


लेकिन इस लिहाज से ये बहुत महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि वोट देने का इनका तरीका और इनकी आदत अभी तक फिक्स नहीं हैं और न ही किसी चुनावी विश्लेषक के पास इसका पूर्वानुमान है।


ये पहली बार वोट देने वाले मतदाता इसलिए महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि भले पिछले पांच सालों से इनके इर्दगिर्द तमाम राजनीतिक बहसें होती रही हों, लेकिन चुनावशास्त्रियों की मानें तो ये ऐसे मतदाता हैं जिनका इरादा पहले से किसी पार्टी या उम्मीदवार को वोट देने के लिए दृढ़ नहीं होता। 


हो सकता है कई ऐसे नौजवान मतदाताओं ने आज की तारीख में तय कर रखा हो कि वे इस पार्टी को मत देंगे, लेकिन चुनाव विशेषज्ञों के मुताबिक ये ऐसे मतदाता हैं जो अंतिम क्षणों में भी अपना इरादा बदल सकते हैं। ठीक वैसे ही जैसे ये मल्टीप्लेक्स में कोई फिल्म देखने जाते हैं, लेकिन अगर अंतिम समय में किसी ने जोर देकर किसी दूसरी फिल्म की टिकट खरीद ली तो ये उसे भी आराम से देख लेते हैं।


इसीलिए ये मतदाता दूसरे मतदाताओं से ज्यादा महत्वपूर्ण हैं। ये इसलिए भी महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि इनमें से करीब 95 फीसद तक अपने मत का इस्तेमाल जरूर करेंगे, बशर्ते वोट डालने वाले दिन ये उस जगह मौजूद हों, जहां इनका वोट डाला जाना है।