एक होली ऐसी भी जहां अंगारों पर दौड़ते हैं आदिवासी

आपको यकीन नहीं होगा कि देश की सबसे बड़ी होली उदयपुर जिले के बलीचा गांव में मनाई जाती है। शौर्य और वीरता से भरे आदिवासियों की होली बड़ी ही नहीं, बल्कि अनोखी भी है, जहां शौर्य का खेल खेला जाता है। आदिवासी यहां जलती होली के अंगारों पर दौडक़र अपने साहस का परिचय देते हैं। 


अंचल की यह होली अहसास दिलाती हैं कि मेवाड़ का इतिहास वीरता से परिपूर्ण है। उदयपुर जिले के खेरवाड़ा उपखंड के बलीचा गांव में होलिका दहन पूर्णिमा के अगले दिन यानी धुलण्डी पर होता है। सुबह से ही इस दहन के लिए आसपास के ही नहीं, बल्कि सीमावर्ती गुजरात के गांवों से भी आदिवासी समाज के लोग एकत्र होना शुरु हो जाते हैं।


युवाओं की टोली तलवार और बंदूकों को लेकर गांवों की गलियों से गुजरती है तो ऐसा लगता है कि कोई सेना की टुकड़ी दुश्मन से लोहा लेने जा रही हो। यहां होलिका दहन स्थानीय लोकदेवी के स्थानक के समीप होता है। टोलियां फाल्गुन के गीत गाते हुए पहाडियों से उतरकर स्थानक पहुंचती हैं। जिसमें समाज के मुखिया, वरिष्ठ जन से लेकर महिलाएं एवं बच्चे तक शामिल होते हैं। होलिका दहन से पहले यहां ढोल की थाप पर गैर नृत्य होता है। गुजरात के गरबा नृत्य की होने वाले इस गैर नृत्य करने वालों के हाथों में डांडियों के बजाय तलवारें होती हैं। उनमें से कई बंदूकें थामे होते हैं। पूर्व में होली के बीच सेमल के पेड़ का डांडा लगाया जाता था लेकिन वन विभाग के चलाए जागरूकता अभियान के बाद अब सेमल के पेड़ की जगह लोहे का डांडा लगाया जाता है जिसमें पोटली टांगी जाती है। जो युवा डांडे में लगी पोटली को लाने में सफल होता है उसे विजयी माना जाता है। इसी के साथ आदिवासी होली में लकड़ी की बजाय गोबर के छाणों का उपयोग ज्यादा लेते हैं। 


दहकती होली में डांडे को तलवार से काटना है परम्परा दोपहर दो बजे यहां शौर्य का खेल शुरू होता है। जिसमें दहकती होली के बीच खड़े डांडे को तलवार से काटना यहां की परम्परा है। युवा इसके लिए प्रयास शुरू करते हैं। जो इसमें सफल होता है उसे पुरस्कृत किया जाता है और जो असफल रहता है उसे दंड के रूप में मंदिर में सलाखों के पीछे बंद कर दिया जाता है। हालांकि यह सजा लम्बी नहीं होती, लेकिन समाज के मुखियाओं द्वारा


 


तय जुर्माना और भविष्य में गलती नहीं करने की जमानत पर उन्हें रिहा कर दिया जाता है। इस कठोर परम्परा के निर्वहन में कभी कोई अप्रिय घटना ना हो, इसलिए पुलिस का बंदोबस्त रहता है।