एक रुपये किमी

एक सर्वे में कहा गया है कि दिल्ली में विश्व के अन्य महानगरों के मुकाबले कॉस्ट ऑफ लिविंग बहुत कम है। इसका एक कारण है – दिल्ली मेट्रो जो सबसे कम  भाड़े  पर लोगों को वातानुकूलित, तीव्र, बाधारहित, सुखद यात्रा कराती है। चुनाव के बाद दिल्ली में ऑटो का भाड़ा बढ़ जायेगा और एक किलोमीटर के लिये न केवल नौ रुपये पचास पैसे देने होंगे अपितु भीड़ में किसी अन्य कारण से यातायात रुक जाने पर हरेक कुछ निर्धारित मिनटों के लिये 75 पैसे भी देने होंगे। यह तो तय भाड़ा होगा मगर ऑटोवालों की मनमानी और मुंहमांगा भाड़ा भी मजबूरी में देने के लिये सवारी तैयार हो जायेगी क्योंकि अक्सर अपने समय को बचाने के लिये लोग बड़ी से बड़ी रकम खर्च करने को तैयार हो जाते हैं। उधर दिल्ली मेट्रो ब्लयू लाइन पर द्वारका सेक्टर 21 से नोएडा सेक्टर इलेक्ट्रनिक सिटी के बीच  49 स्टेशनों के साथ 56 किलो मीटर की दूरी पर विश्वसनीय सेवा के लिये 60 रुपये भाड़ा ले रही है। औसत निकालें तो एक रुपये 5 पैसे प्रति किलो मीटर। और जब  पिंक लाइन की मुकुंदपुर डिपो से शिव विहार के बीच 39 स्टेशनों के साथ 60 किलो मीटर  सेवा पूरी तरह शुरू होगी तो इसके आरामदायक सफर के लिये भी भाड़ा 60 रूपये होगा।  यह लाइन रिंग रोड के ज्यादातर इलाकों को जोड़ती है अगर इस लाइन को सबसे पहले बनाया जाता तो दिल्लीवासियों को कई साल पहले सार्वजनिक परिवहन में बड़ी राहत मिल गयी होती। एक रुपये के भाड़े पर एक किलोमीटर की फरार्टेदार यात्रा, दिल्ली मेट्रो के क्या कहने।


 खून के रिश्ते


कहते हैं खून के रिश्ते के आगे बाकी सब रिश्ते मायने नहीं रखते। यह भी कहते हैं कि ऐसा हर मामले में यह सही नहीं होता। आंध्र प्रदेश में अराकू लोकसभा आरक्षित सीट पर पिता और बेटी के बीच मुकाबला है। राजनीतिक दल भी ऐसे हालात बनाने में कोई संकोच नहीं करते। कांग्रेस की सरकार में केन्द्र सरकार में मंत्री रहे वी किशोर चंद्रदेव अपनी पार्टी को तलाक दे कर टीडीपी में गये तो उस पार्टी ने उन्हें इसी सीट पर प्रत्याशी बना दिया। कांग्रेस के लिये यहां से उम्मीदवार तलाशना कठिन लगा तो उसने चंद्रदेव की बेटी वी श्रुति देवी को पिता के सामने चुनाव लड़ने के लिये खड़ा कर दिया। श्रुति पिछले चुनावों में पिता के चुनाव का सफल संचालन करती रही हैं। सियासत किसी भी घर को लड़ाई का मैदान बना सकती है। उधर हिमाचल प्रदेश में टेलिकाम घोटाले में जेल में रह चुके पूर्व दूरसंचार मंत्री 93 वर्ष के सुख राम अपने पोते आश्रय को भाजपा से लोकसभा का टिकट नही मिलने से दुखी दल बदल कर कांग्रेस यानि पुराने घर वापस आ गये। इससे पहले अपने पुत्र अनिल शर्मा को भाजपा से टिकट दिलवाने के लिये सुख राम भाजपा में आये थे। सुख राम ने तो पिता और पोते के लिये दल बदला मगर उनके बेटे अनिल जो भाजपा की हिमाचल सरकार में मंत्री हैं उनके लिये तो संकट और दुविधा बढ़ गयी। मुकेश अंबानी ने नाराज चल रहे अपने छोटे भाई अनिल अंबानी को एक पल में 543 करोड़ रुपये दे कर जेल जाने से बचाया और खून के रिश्ते की लाज रखी।


रब नहीं रोबोट


कहते हैं रब ने बना दी जोड़ी मगर जापान में इस काम के लिये लोग रब पर निर्भर नहीं रहते।  वहां जीवन साथी तलाश करने के लिये आयोजन किये जाते हैं जहां छोटे छोटे रोबोट युवक युवतियों से बात करते हैं । उनसे रोबोट 45 तरह के सवाल करते हैं और जवाब को युवक युवतियों के स्वभाव और आवश्यकता के आधार पर मिलान कर जोड़ियां बना देते हैं,उनके सुखमय जीवन का आधार तैयार करते हैं।