राफेल सौदे में उच्चस्तरीय समिति की रिपोर्ट की क्यों हुई उपेक्षा, PM दें जवाब

नयी दिल्ली। कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से राफेल सौदे को लेकर किये गए हमले पर पलटवार किया और दावा किया कि सरकार ने इस लड़ाकू विमान की खरीद की प्रक्रिया पर गौर करने के लिए गठित उच्चस्तरीय समिति की रिपोर्ट की उपेक्षा की जिस पर मोदी को जवाब देना चाहिए। पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व रक्षा मंत्री ए के एंटनी ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह पर बालाकोट में वायुसेना की करवाई का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया और कहा कि प्रधानमंत्री और शाह को इससे बचना चाहिए। एंटनी ने संवाददाताओं से कहा,  मैं अपने सशस्त्र बलों की वीरता और बलिदान को सलाम करता हूं। हम सभी को अपने सशस्त्र बलों का समर्थन करना चाहिए। उन्होंने दावा किया कि हमारे प्रधानमंत्री देश में घूम रहे हैं और गलत जानकारियां फैला रहे हैं। उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि कमीशन के लिए राफेल के सौदे में देरी की। उनके इस आरोप में कोई सच्चाई नहीं है। पूर्व रक्षामंत्री ने कहा कि कैग रिपोर्ट से साफ है कि पूर्व की राजग सरकार ने चार साल बर्बाद किये। लेकिन जब संप्रग सरकार आयी तो हमने प्रक्रिया शुरू की। उन्होंने कहा कि प्रक्रिया के दौरान भाजपा के नेताओं यशवंत सिन्हा और सुब्रमण्यम स्वामी ने आपत्ति जताई थी। इसके बाद एक समिति का गठन हुआ। इस समिति की रिपोर्ट को नरेंद्र मोदी सरकार ने नजरअंदाज किया। अगर हम सरकार में रहकर समिति की रिपोर्ट को नजरअंदाज करते तो कैग की क्या प्रतिक्रिया होती? क्या मीडिया का यही रुख होता?कांग्रेस नेता ने कहा कि मुझे यह जानकर हैरानी हुई कि इस सरकार में समिति की रिपोर्ट पर न तो रक्षा मंत्रालय में चर्चा हुई और न ही सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति में इस पर विचार हुआ। प्रधानमंत्री को जवाब देना चहिए कि उनकी सरकार ने समिति की रिपोर्ट की उपेक्षा क्यों की? उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फ्रांस के साथ जो करार किया, उसमें देश के राष्ट्रीय हितों से समझौता किया। अमित शाह के बयान का हवाला देते हुए एंटनी ने कहा कि मैं कहना चाहूंगा कि हमारे समय सेना अभियान के बारे में रक्षा प्रवक्ता जानकारी देते थे। अब भाजपा अध्यक्ष जानकारी देते हैं। वे मारे गए लोगों की संख्या के बारे में बता रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। प्रधानमंत्री और भाजपा अध्यक्ष से आग्रह करता हूं कि सशस्त्र बलों का राजनीतिकरण नहीं करें।