शिरोमणि अकाली दल को बड़ा झटका, चुनाव से ठीक पहले सांसद घुबाया ने पार्टी छोड़ी

फिरोजपुर. एक तरफ जहां चुनावी माहौल एकदम गर्म है, वहीं पंजाब में भाजपा के सहयोगी दल शिरोमणि अकाली दल को बड़ा झटका मिला है। सोमवार को फिरोजपुर लोकसभा हलके के सांसद शेर सिंह घुबाया ने पार्टी को अलविदा कह दिया। दरअसल वह एक सेक्स टेप के वायरल होने के चलते दो महीने पहले ही विवादों में आए थे। इसी के चलते उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया गया था।


शेर सिंह घुबाया ने 2009 में शिरोमणि अकाली दल के प्रत्याशी के रूप में फिरोजपुर लोकसभा सीट से चुनाव जीता था। इसके बाद वह 2014 में फिर से सांसद चुने गए। हाल ही में जनवरी महीने की बात है, जब घुबाया एक सेक्स टेप वायरल हो जाने के चलते विवादों में आ गए थे। करीब साढ़े 4 मिनट के इस वीडियो में घुबाया कथित तौर पर एक महिला के साथ आपत्तिजनक हालत में बताए जा रहे थे। हालांकि इस विवाद के बाद घुबाया ने इसे पार्टी के प्रधान सुखबीर बादल की चाल बताया था। सीडी प्रकरण की केंद्रीय एजेंसी से जांच करवाए जाने की मांग करते हुए उस वक्त घुबाया ने कार्यकाल खत्म होने तक पार्टी के साथ बने रहने की बात भी कही थी। इसके बाद पार्टी ने उन्हें निलंबित कर दिया था, लेकिन पार्टी से निकाले जाने से पहले इस संबंध में घुबाया ने कहा था कि उनकी लंबे समय से सुखबीर के साथ न तो कोई मीटिंग हुई है न ही बातचीत। न ही पार्टी उन्हें किसी कार्यक्रम में बुलाती है। यहां तक कि प्रधानमंत्री की मलोट रैली में भी उन्हें न्यौता नहीं दिया गया था। जब इतनी नाराजगी थी तो उन्हें पार्टी से सस्पेंड क्यों नहीं किया जा रहा? इसके बाद उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया गया था।


अकाली दल को हुए नुकसान: बीते दिनों शिरोमणि अकाली दल के वरिष्ठ नेता बिक्रम सिंह मजीठिया का नाम एक ड्रग रैकेट में आ जाने के चलते पार्टी की किरकिरी होनी शुरू हो गई। इसका असर 2014 में देखने का मिला, जब मोदी की लहर के बावजूद अमृतसर लोकसभा सीट से अरुण जेटली को पंजाब कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष कैप्टन अमरिंदर सिंह से हार का सामना करना पड़ा।


2017 में विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बाद अकाली-भाजपा गठबंधन तीसरे नंबर रहा था, वहीं इसके बाद टकसाली नेता कहलाने वाले खडूर साहिब के सांसद रणजीत सिंह ब्रह्मपुरा, रतन सिंह अजनाला और सेवा सिंह सेखवां भी पार्टी की प्रधानी सुखबीर बादल के हाथ आ जाने के बाद विरोध में उतर आए थे, जिसके चलते ये तीनों पार्टी छोड़कर अब शिरोमणि अकाली दल टकसाली बना चुके हैं।