शिव की भक्ति में डूबी छोटी काशी, राजस्थान के शिवालयों में रही हर-हर महादेव की गूंज

जयपुर. आज सुबह से ही छोटी कशी कहे जाने वाले जयपुर समेत पूरा प्रदेश में महाशिवरात्रि का पर्व पूरी आस्था और श्रद्धा के साथ मनाया जा रहा है। फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी 4 मार्च को भोले बाबा का महापर्व महाशिवरात्रि इस बार कई दुर्लभ संयोगों के बीच मनाई जा रही है। इसलिए सोमवार को ही महाशिवरात्रि का त्यौहार मनाया जा रहा है। सर्वार्थ सिद्धि योग और सोमवार का दिन होने के साथ शिव योग इस वर्ष की महाशिवरात्रि पर दुर्लभ संयोग बना है।
जयपुर के ताड़केश्वर महादेव मंदिर में ये पर्व खास रहा। सुबह से ही लोगों की भारी भीड़ मंदिरों में पहुंच रही है। जहां देश की महिलाओं के साथ विदेशी भी इस पर्व को मनाने पहुंचे। शिवरात्रि पर चौड़ा रास्ता स्थित ताड़केश्वरजी, क्वींस रोड वैशालीनगर स्थित झारखंड महादेव, बनीपार्क के जंगलेश्वर महादेव, छोटी चौपड़ स्थित रोजगारेश्वर महादेव, झोटवाड़ा रोड स्थित चमत्कारेश्वर महादेव, रामगंज के ओंडा महादेव, विद्याधर नगर के भूतेश्वर महादेव, धूलेश्वर महादेव व जाट का कुआं के महादेव मंदिर में मेले सा माहौल है। शिवालयों में श्रद्धालु दूध मिश्रित जल से भोलेनाथ का अभिषेक किया। बेर, सोगरी, धतूरा, बिल्व पत्र अर्पित कर आरती की गई।


चार पहर की पूजा का है विशेष महत्व


प्रथम प्रहर 4 मार्च को शाम 6:26 बजे से
दूसरा प्रहर रात 9:33 बजे से
तीसरा प्रहर रात 12:39 बजे से
चौथा प्रहर 5 मार्च को अलसुबह 3:.44 बजे से


शिवजी की आरती में इनका विशेष महत्व


शिवजी की कर्पूर से आरती करने पर कष्ट दूर होते हैं। घी से आरती करने पर मानसिक शुद्धि और सरसों तेल के दीपक से आरती शत्रु समाप्त करती है।


जयपुर को क्यों कहते हैं छोटी काशी


मंदिरों की बहुतायत की वजह से ही शहर को छोटी काशी भी कहते हैं। जयपुर स्थापना से पहले और बाद के कई प्राचीन मंदिर बने हुए है। कई प्राचीन मंदिर दक्षिण शैली में बने हैं तो कई मंदिरों को बनवाने वाले के नाम से जाना जाता है। परकोटे की तीनों चौपड़ों पर तीन बड़े मंदिर एक ही शैली और समकोण पर बने हुए है।


ताड़केश्वर महादेव मंदिर


प्राचीन समय में यहां श्मशान घाट था। यहां पर बहुत से ताड़ के पेड़ थे। पेड़ों के बीच शिव मंदिर बना हुआ था। सवाई जयसिंह द्वितीय ने शहर को बसाने के साथ ही यहां बड़े मंदिर का निर्माण करवाया। अष्टधातु से बनी नंदनी (गाय) की प्रतिमा भी है।


ग्यारह रूद्राक्ष महादेव मंदिर


जौहरी बाजार में स्थित इस मंदिर में ग्यारह शिव लिंग विराजमान है। महंत रामेश्वर का कहना है कि शहर में ग्यारह रूद्र शिव लिंग के तीन ही मंदिर है-गलताजी,स्टेशन रोड़ पर और जौहरी बाजार में। दाधीच समुदाय के लोगों ने यह मंदिर जयपुर स्थापना के समय बनवाया था। यहां विजय गोपाल जी (राधाकृष्ण) का भी मंदिर है ।