एनआरसी की सुनवाई के लिए नहीं पहुंचे मुख्य सचिव, सुप्रीम कोर्ट ने असम सरकार को लगाई फटकार

उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को असम सरकार को कड़ी फटकार लगाई है क्योंकि मुख्य सचिव न्यायालय में मौजूद नहीं थे। सचिव को राज्य में नागरिकों के राष्ट्रीय रजिस्टर (एनआरसी) पर सुनवाई के दौरान विदेशियों के सवालों के जवाब देने के लिए उपस्थित होना था। यह याचिका सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदेर ने दायर की है। इस मामले की अगली सुनवाई आठ अप्रैल को होगी। अदालत मुख्य सचिव के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी करने वाली थी लेकिन वह ऐसा सख्त कदम उठाने से इसलिए रुक गई क्योंकि सॉलिसिटर जनरल ने इसके खिलाफ आग्रह किया। सुनवाई के दौरान असम सरकार ने इस बात को स्वीकार किया कि 70,000 प्रवासी जिन्हें विदेशी घोषित किया गया था उनके राज्य में स्थानीय लोगों के साथ रिश्ते-संबंध हैं।

राज्य अदालत को इस बात का संतोषजनक जवाब नहीं दे पाया कि उसने उन विदेशियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की है जिनके स्थानीय नागरिकों के साथ रिश्ते-संबंध हैं। अदालत ने सॉलिसिटर जनरल से कहा, 'आपका हलफनामा खानापूर्ति प्रतीत होता है। आप केवल मामले को खींच रहे हैं। गायब होने या सहयोग की कमी से इस समस्या हल नहीं निकलेगा।'

सर्वोच्च न्यायालय ने मामले को अगले सोमवार तक के लिए स्थगित कर दिया है और अगली सुनवाई में मुख्य सचिव को मौजूद होने का आदेश दिया है। पिछले साल 30 जुलाई को जारी हुई एनआरसी सूची में 4 लाख से ज्यादा लोगों को शामिल नहीं किया गया था। हालांकि केंद्र और राज्य सरकार ने कहा था कि यह सूची ड्राफ्ट है।

सरकार ने कहा था कि जिन लोगों को सूची में शामिल नहीं किया गया है उनके पास अपना नाम सूची में दर्ज करवाने के लिए पर्याप्त समय है। एनआरसी को पहली बार 1951 में तैयार किया गया था। इसे उच्चतम न्यायालय के आग्रह पर अद्यतन (अपडेट) किया जा रहा है। यह राज्य के अधिकांश राजनीतिक संगठनों की लंबे समय से चली आ रही मांग है।