नवरात्र आने वाले हैं, अगर आपको डायबिटीज या ब्लड प्रेशर है तो उपवास के दौरान रखें ये सावधानियां

नई दिल्ली । संस्कृत भाषा के शब्द नवरात्र का अर्थ होता है- नौ रातें। इन नौ रातों के दौरान देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है। इसलिए नवरात्र में बड़ी संख्या में लोग उपवास रखते हैं। अधिकांश धर्म उपवास को शुद्धिकरण या तपस्या का जरिया मानते हैं। इसलिए इसे बहुत महत्व देते हैं। धार्मिक एवं आध्यात्मिक संदर्भ में भोजन शरीर को पोषण प्रदान करता है और उपवास आत्मा को पोषण (शक्ति) प्रदान करता है। नवरात्र में प्राय: 8 से 9 दिनों तक उपवास रखने की परंपरा है। ऐसा देखा गया है कि लोग उपवास अलग-अलग तरीके से रखते हैं। उदाहरण के तौर पर कुछ लोग इस दौरान दिन में एक बार भोजन करते हैं ,तो कुछ लोग दिन में दो बार। एक ओर कुछ लोग इस दौरान नमक नहीं खाते तो दूसरी ओर लोग इस दौरान तला हुआ भोजन करते हैं। उपवास का शरीर पर क्या प्रभाव पड़ेगा, वह बात इसे रखने के तरीके पर निर्भर करती है। नवरात्र (6 अप्रैल से शुरू) में धार्मिक दृष्टि से उपवास का विशेष महत्व है, लेकिन जो लोग डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर से पीड़ित हैं, उन्हें उपवास रखते समय कुछ सावधानियां बरतना जरूरी है। टाइप-1 डायबिटीज के साथ जी रहे लोग और जिन लोगों की ब्लड शुगर अनियंत्रित है, वे व्रत न रखें.. भारतीय धर्म-संस्कृति में यह मान्यता है कि धार्मिक साधना के साथ उपवास हमारे शारीरिक और मानसिक संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है। उपवास रखने का निर्णय व्यक्तिगत है, लेकिन डायबिटीज (मधुमेह) से ग्रस्त व्यक्तियों को उपवास का निर्णय धार्मिक दिशा-निर्देशों में दी गई छूट को ध्यान में रखकर और उपवास से जुड़ी स्वास्थ्य से संबंधित जटिलताओं को ध्यान में रखते हुए ही लेना चाहिए, क्योंकि ऐसे लोगों में उपवास के दौरान कई जटिलताएं उत्पन्न हो सकती हैं। जब डायबिटीज से ग्रस्त व्यक्ति नवरात्र में उपवास करते हैं, तो उन्हें आम दिनों की तुलना में कई घंटों तक खाली पेट रहना पड़ता है। इस वजह से उनके खून में ग्लूकोज की मात्रा कम हो सकती है, जिसे हाइपोग्लाइसीमिया कहते हैं। यह स्थिति खतरनाक साबित हो सकती है। रक्त शर्करा (ब्लड शुगर) कम होने के लक्षण आसानी से पहचाने जा सकते हैं। आमतौर पर 70 या इससे कम ब्लड शुगर आने पर कुछ लक्षण महसूस होने लगते हैं। जैसे- अचानक पसीना आना, शरीर में कमजोरी या कंपन होना, दिल की धड़कनें तेज होना आदि। हाइपोग्लाइसीमिया की स्थिति में शहद, चीनी, ग्लूकोज लेकर ब्लड शुगर में आई कमी को दूर किया जा सकता है। हाइपोग्लाइसीमिया की स्थिति से बचने के लिए नियमित रूप से अपनी ब्लड शुगर के स्तर को नापते रहना अनिवार्य है।


नवरात्र के उपवास के दौरान कुछ लोगों में ब्लड शुगर का स्तर बढ़ जाता है, जिसे मेडिकल भाषा में  हाइपरग्लाइसीमिया कहते हैं। हाइपरग्लाइसीमिया का मुख्य कारण कार्बोहाइड्रेट और वसायुक्त खाद्य पदार्थों जैसे तली हुई पकौड़ियों का सेवन, आलू और साबूदाना आदि का सेवन अधिक मात्रा में करना या फिर दवाओं को सही मात्रा या समय पर न लेना है। इसलिए इस दौरान नियमित रूप से ब्लड शुगर की जांच करना और उसे नियंत्रण में रखने का यथासंभव प्रयास करना अनिवार्य है। डायबिटीज से ग्रस्त ऐसे लोग जो केवल संतुलित आहार और व्यायाम से ब्लड शुगर को नियंत्रित रखते हैं या ऐसे व्यक्ति जिन्हें डायबिटीज को नियंत्रित करने के लिए दवाओं की आवश्यकता पड़ती है। ये लोग नवरात्र के उपवास तभी रखें, जब उनकी ब्लड शुगर नियंत्रण में हो।


डायबिटीज के साथ जिंदगी जी रहे लोग नवरात्र के उपवास के दौरान कुछ सजगताएं बरतकर अपने स्वास्थ्य का ध्यान रख सकते हैं....



  • डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर से ग्रस्त व्यक्तियों को नवरात्र के उपवास से पूर्व अपने डॉक्टर की सलाह लेना अनिवार्य है ताकि डॉक्टर आपकी दवाओं की खुराक में परिवर्तन कर सके और स्वास्थ्य संबंधी अन्य जानकारी प्रदान कर सके । यह जरूरी है कि आप डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही दवा लें।

  • नवरात्र के उपवास के दौरान फाइबर युक्त, धीरे धीरे अवशोषित होने वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करें। जैसे सब्जियां, सूखे मेवे (बादाम, अखरोट, पिस्ता आदि), छाछ, मखाना, भरवां कुट्टू रोटी, कुट्टू चीला, खीरे का रायता, ताजा पनीर और फल आदि। इससे पेट भरा हुआ रहता है और खून में ग्लूकोज की मात्रा भी नियंत्रित रहती है।

  • ऐसे व्यक्ति जो डायबिटीज को नियंत्रित करने के लिए मेटफोर्मिन या ग्लिप्टिन ग्रुप की दवाएं लेते हैं, वे नवरात्र के उपवास रख सकते हैं क्योंकि इन दवाओं से हाइपोग्लाइसीमिया होने का खतरा कम होता है। सल्फोनिलयूरिया ग्रुप की दवाएं लेने वाले व्यक्तियों में ब्लड शुगर सामान्य से नीचे जा सकती है। इसलिए इस दवा की खुराक और समय के लिए डॉक्टर से सलाह अवश्य लें।

  • उपवास तोड़ने के बाद आवश्यकता से अधिक न खाएं। कुछ लोग उपवास तोड़ते समय बहुत अधिक कैलोरी युक्त आहार लेते हैं, परंतु डायबिटीज से ग्रस्त व्यक्तियों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वे उपवास तोड़ते समय ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन करें जिनमें वसा और चीनी जैसे कार्बोहाइड्रेट कम मात्रा में हों। बेक किए हुए पदार्थ सबसे अच्छे होते हैं। उपवास में तले हुए आलू, मूंगफली, चिप्स, पापड़ और पूड़ी-कचौड़ी आदि खाने से सख्त परहेज करना चाहिए।

  • नवरात्र में उपवास के दौरान बाजार में मिलने वाले प्रोसेस्ड एवं ट्रांस फैट युक्त, हाइड्रोजनीकृत वनस्पति तेल में बनाएं खाद्य पदार्थ जैसे नमकीन और चिप्स आदि का सेवन न करें। ये खाद्य पदार्थ न सिर्फ ब्लड शुगर को अनियंत्रित करते हैं बल्कि कोलेस्ट्रॉल एवं ब्लड प्रेशर को भी बढ़ाने में सहायक हैं।

  • नवरात्र के उपवास के दौरान शुगर बढ़ने के अलावा डीहाइड्रेशन (शरीर में पानी की कमी) होने का खतरा भी बढ़ जाता है। ऐसे में नारियल पानी, नींबू पानी, छाछ, दूध जैसे तरल पेय पदार्थो का सही मात्रा में सेवन करना अनिवार्य है।

  • अगर आप नवरात्र के उपवास के दौरान नमक छोड़ना चाहते हैं, तो पहले डॉक्टर से सलाह करके अपनी दवाओं में जरूरी परिवर्तन कराएं, क्योंकि ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने वाली कुछ दवाएं शरीर से सोडियम बाहर निकालती हैं। उपवास के दौरान नमक छोड़ने से पहले इन दवाओं की खुराक में परिवर्तन करना पड़ सकता है।

  • उपवास के दौरान दिन में तीन से चार बार ब्लड शुगर की जांच जरूर करें। ग्लूकोमीटर के जरिए उपवास के दौरान नियमित रूप से घर पर ही शुगर की जांच की जा सकती है। अगर ब्लड शुगर में बहुत वृद्धि हो रही हो या वह बहुत घट रही हो, तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं और डॉक्टर द्वारा दी गई स्वास्थ्य संबंधी सलाह का अनुसरण करें।


ये न रखें नवरात्र के उपवास


ऐसे व्यक्ति जो टाइप 2 डायबिटीज को नियंत्रित करने के लिए इंसुलिन ले रहे हों, उन्हें डॉक्टर की सलाह के बगैर उपवास रखने का निर्णय नहीं लेना चाहिए। विशेषकर ऐसे व्यक्ति जिनकी ब्लड शुगर नियंत्रण में न हो, उन्हें उपवास नहीं रखना चाहिए। जिन लोगों को डायबिटीज से संबंधित अन्य परेशानियां जैसे किडनी, लिवर या फिर हृदय रोग है, उनके लिए उपवास रखना सही नहीं है। टाइप 1 डायबिटीज से ग्रस्त व्यक्ति जो पूरी तरह से इंसुलिन पर निर्भर हों, उनके लिए भी उपवास रखना सही नहीं है।