भगवान विश्वकर्मा की पूजा में समय का रखा जाता है खास ध्यान

भारतीय परंपरा एवं सभ्यता के अनुसार हम सभी देवी देवताओं की पूजा एवं उनका व्रत किसी ना किसी उपलक्ष्य में रखते है। सृष्टी के निर्माता भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश की पूजा हम करते है। 17 सितम्बर को भगवान विश्वकर्मा की जयंती है और भगवान विश्वकर्मा को निर्माण एवं सृजन का देवता माना गया है। हम यह भी कह सकते है कि भगवान विश्वकर्मा ही दुनिया का पहले  इंजीनियर थे। जिन्होंने पृथ्वी के निर्माण में उपयोगी वस्तुओं का सृजन किया था। माघ शुक्ल की त्रयोदशी को भगवान विश्वकर्मा जयंती मनाई जाती है। 17 सितम्बर को भगवान विश्वकर्मा की जयंती मनाई जाएगी। हम आपको भगवान विश्वकर्मा  की वह पूजन विधि बताएंगे जिसकी पूजा कर कारोबारी और व्यवसायी लोग तरक्की हासिल करते हैं। 


भगवान विश्वकर्मा ने बनाई थी सोने की लंका-


वेदों और पुराणो की माने तो भगवान विश्वकर्मा ने ही त्रेतायुग में सोने की लंका का निर्माण किया था। यह भी बताया जाता भगवान विश्वकर्मा ने हर युग में किसी ना किसी तरह का निर्माण किया है। वेदों की माने तो सतयुग में स्वर्गलोग का भी निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने ही किया था। ऋगवेद में भगवान विश्वकर्मा द्वारा किए गए निर्माण की जानकारी मिलती है। कहा जाता है कि भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने से प्राकृतिक ऊर्जा प्राप्त होती है। साथ ही कारोबार एवं व्यवसाई में उत्पन्न होने वाली हर अड़चन खत्म हो जाती है।


ऐसे करे भगवान विश्वकर्मा की पूजा-

देश भर में भगवान विश्वकर्मा की पूजा विभिन्न तरह से कि जाती है। देश के कई हिस्सों में फैक्ट्रियों, ऑफिस और उद्योगों में लगी हुई मशीनों की पूजा भगवान विश्वकर्मा की जयंती के दिन उनके नाम से की जाती है। हम आपको भगवान विश्वकर्मा की पूजन विधि बता रहें है। सबसे पहले आप भगवान विश्वकर्मा की तस्वीर अपने पूजा घर में रख ले। जिसके बाद सबसे पहले चावल और रोली से उनकी पूजा करें। फिर मिठाई, फल, सुपारी, धूप, दीप, दही आदि भगवान को आपकी श्रद्धा अनुसार चढ़ा दें। फिर भगवान विश्वकर्मा की आरती कर उनका आव्हान यह कहते हुए कहें कि विश्वकर्मा जी आइए और मेरी पूजा स्वीकार कीजिए। जिससे आपकी पूजा सफल हो जाएगी। इस तरह से आप भगवान विश्वकर्मा की पूजा अपने ऑफिस, व्यवसाई स्थान, कारोबार स्थान, फैक्ट्री आदि में भी कर सकते हैं। 


इस समय भूलकर भी ना करें पूजा-

भगवान विश्वकर्मा जयंती पर इस वर्ष एक खास संयोग बन रहा है जो लाभदायक रहेगा। कन्या संक्रांति और विश्वकर्मा जयंती एक ही दिन आ रही है जिसका पुण्यलाभ आपको मिलेगा। विश्वकर्मा जयंती के दिन सुबह 9 बजे से 10.30 बजे, 12 बजे से 1.30 बजे और शाम को 3 बजे से 4.30 बजे का समय छोड़ कर किसी भी समय भगवान विश्वकर्मा की पूजा श्रद्धा पूर्वक करें। इस समय में भूलकर भी भगवान विश्वकर्मा की पूजा ना करें।