महाराष्ट्र में सत्ता के लिए संवैधानिक संस्थाओं की मर्यादा भंग करना 70 साल के संविधान की सबसे बड़ी त्रासदी

आज संविधान दिवस है। 70 साल पहले 26 जनवरी 1949 को संविधान सभा ने इस विश्वास के साथ 
संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित (लागू होना) किया गया था कि अब विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र संविधान के अनुसार ही चलेगा। संवैधानिक संस्थाए संविधान को और मजबूत बनाएगी और सुप्रीम कोर्ट संविधान की रक्षा करेगा। 70 साल के इस सफर मे अब तक ऐसे मौके बहुत कम ही बार आए जब यह सवाल उठा कि क्या देश संविधान के अनुसार चल रहा है क्या विश्व के इस सबसे बड़े लोकतंत्र में संवैधानिक संस्थाए अपना काम सहीं ढंग से कर रही है।
दुर्भाग्य के साथ आज जब हम संविधान दिवस की 70 वीं वर्षगांठ मना रहे है तो यह सभी सवाल सुरसा के मुंह के सामान हर क्षण बड़े होते दिखाई दे रहे है। महाराष्ट्र में नई सरकार के गठन में जिस तरह से संविधान और संवैधानिक संस्थाओं को ताक पर रख कर फैसले किए गए उससे यह सवाल खड़ा हो गया है कि क्या संविधान के लागू होने के 70 साल के अंदर ही संवैधानिकस संस्था खत्म होने के कगार पर पहुंच गई है।