पड़ोसी देशों से आए शरणार्थियों के लिए भारत की नागरिकता देने लिए संसद में बनाए नए कानून को लेकर पूरे देश में विरोध प्रदर्शन का सिलसिला तेज होता जा रहा है। असम से शुरु हुआ आंदोलन देखते ही देखते पश्चिम बंगाल से दिल्ली होता हुआ अब पूरे देश में पहुंच गया है। शायद की देश का कोई राज्य ऐसा न हो जहां इस आंदोलन का विरोध नहीं हो रहा है। शांतिपूर्ण धरने प्रदर्शन से शुरू हुआ आंदोलन देश के कई राज्यों में हिंसक रुप भी ले चुका है जिससे कानून व्यवस्था को लिए बड़ी चुनौती खड़ी होती दिख रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के बार –बार यह स्पष्टीकरण देने के बाद भी कि नए कानून से देश के किसी भी नागरिक की नागरिकता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, लोगों खासकर मुस्लिम समुदाय में एक डर का माहौल देखा जा रहा है। नागरिकता कानून को लेकर भोपाल में इकबाल मैदान में हुए विरोध प्रदर्शन में 3 घंटे से अधिक का समय गुजराने और विरोध प्रदर्शन में शामिल होने आए लोगों से बातचीत करने के बाद यह एकदम साफ हो गया कि मुस्लिम समुदाय CAA कानून के खिलाफ नहीं बल्कि वह NRC आने का डर से और उसमें अपनी नागरिकता खो देने के डर से खौफजदा है। मुस्लिम समुदाय के लोगों से बातचीत में महसूस कि वह संसद में गृहमंत्री अमित शाह के उस बयान से बेहद डरे हुए है जिसमें उन्होंने CAA के बाद NRC लाने की बात कही है।
विरोध प्रदर्शन में शामिल होने आए अधिकतर लोगों कानून के बारे में पता नहीं था वहीं केवल अपनी नागरिकता के जाने के डर से खौफजदा दिखाई दिए जिनमें बड़ी संख्या में मुस्लिम महिलाएं शामिल थी।