औंधे मुंह गिरा बैंकों का डिपॉजिट

 


कोरोना से लड़ाई में हुए लॉक डाउन का भारी असर क्लोजिंग वीक के दौरान बैंकों पर पड़ा है। बैंकों में डिपॉजिट बुरी तरह धड़ाम हो गया है। पिछले एक हफ्ते में ग्राहकों ने सिर्फ पांच फीसदी डिपॉजिट ही बैंक में किया है, जबकि, निकासी औसत से आठ गुना तक अधिक दर्ज की गई है।हर बार 24 से 31 मार्च तक के क्लोजिंग वीक में बैंक अपने डिपॉजिट को ज्यादा से ज्यादा रखने पर फोकस करते हैं, लेकिन, इस बार कोरोना की वजह से बैंकों का डिपॉजिट औंधे मुंह गिरा है। क्लोजिंग वीक के दौरान जिले में बैंकों का डिपॉजिट ढाई सौ करोड़ से अधिक होने का अनुमान लगाया गया था, लेकिन, कोरोना के चलते जनता कर्फ्यू का ऐलान होने के बाद लोगों में बैंकों से निकासी की होड़ लग गई। नतीजतन, एक हफ्ते में चार सौ करोड़ से ज्यादा की निकासी लोगों ने कर डाली, जबकि, इस दौरान करीब पंद्रह करोड़ रुपए ही बैंकों में जमा कराए गए। अमूमन, क्लोजिंग वीक में बैंक डिपॉजिट बढ़ाने के साथ ही ऋण जमा अनुपात बेहतर दिखाने के लिए अधिक से अधिक लोन स्वीकृत और जारी करने पर फोकस करते हैं, लेकिन, लॉक डाउन के चलते लोन संबंधी सभी काम अगले आदेशों तक ठप पड़े हैं।कोरोना के चलते घोषित लॉकडाउन का पूरी तरह पालन करने से ही आने वाले समय में बैंकिंग और अन्य सभी कामकाज सुचारू हो पाने की संभावना बन सकती है। बैंकिंग पूरी तरह से लड़खड़ाई है, लेकिन, इस समय सबसे महत्वपूर्ण कोरोना से लड़ाई है।सतीश कुमार गुप्ता, अग्रणी जिला बैंक प्रबंधक दो के बाद बैकों में सोशल डिस्टेंसिंग घटने का डरमुरादाबाद। लॉकडाउन के दौरान अभी बैंकों में ग्राहकों की संख्या काफी कम है, लेकिन, दो अप्रैल के बाद बैंकों में भीड़ उमड़ने की संभावना है। विभिन्न सरकारी स्कीमों के अंतर्गत खुले खातों से, पेंशन आदि की निकासी को भीड़ उमड़ने की संभावना को देखते हुएबैंकों ने परिसर में सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखने को रणनीति बनाना शुरू कर दिया है। अग्रणी जिला बैंक प्रबंधक सतीश कुमार गुप्ता ने बताया कि इसके लिए बैंकों में पुलिस की सहायता ली जाएगी। पहली अप्रैल को बैंकों की वार्षिक लेखाबंदी के चलते ग्राहकों से लेनदेन बंद रहेगा।