4 करोड़ रोजगार देने वाली टूरिज़्म इंडस्ट्री ठप होने के कगार पर

नई दिल्ली. कोविड-19 का प्रभाव होटल और टूरिज्म इंडस्ट्री पर सबसे ज्यादा पड़ा है। वैश्विक महामारी के चलते ट्रैवल, होटल, रेस्तरां सबकुछ बंद है। टूरिज्म इंडस्ट्री के लिए यह अब तक का सबसे बुरा दौर साबित हो रहा है ।इंडिया एसोसिएशन ऑफ टूर ऑपरेटर (आईएटीओ) के प्रेसीडेंट प्रणब सरकार के मुताबिक इससे पहले भी मंदी आई थी लेकिन टूरिज्म इंडस्ट्री पर कोई खास असर नहीं पड़ा था। कोविड-19 के चलते इंडस्ट्री को अब तक के सबसे बुरे दौर से गुजरना पड़ रहा है। सोशल डिस्टेंसिंग के चलते लंबे समय तक लोग यात्रा करने से बचेंगे और घूमने की बजाय फ्यूचर के लिए पैसे इकट्ठे करने पर जोर देंगे। ये सब पर्यटन उद्योग के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं।


4 करोड़ लोगों का मिलता है रोजगार
फाइनेंशियल सर्विसेज और बिजनेस एडवाइडरी फर्म KPMG की ओर से जारी रिपोर्ट के मुताबिक, इस इंडस्ट्री से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से करीब 4 करोड़ लोग जुड़े हुए हैं। कोरोना में हुए लॉकडाउन की वजह से भारत में सिर्फ ट्रैवल एंड टूरिज्म इंडस्ट्री में 90 लाख लोगों की नौकरी पर खतरा मंडरा रहा है। जो कि गोवा की जनसंख्या से छह गुना ज्यादा है। अगर कोविड 19 की वजह से लॉकडाउन और आगे बढ़ा या फिर ट्रैवल पर किसी तरह की रोक लगी, तो इसकी वजह से राष्ट्रीय स्तर पर बेरोजगारी बढ़ जाएगी। इसकी वजह ये है कि देश की वर्क फोर्स का करीब 12.75 फीसदी हिस्सा अकेले होटल और टूरिजम इंडस्ट्री में काम करता है। पर्यटन मंत्रालय की 2019-20 की रिपोर्ट के अनुसार, पर्यटन उद्योग ने 8 करोड़ से भी ज्यादा लोगों को रोजगार दे रखा है। दिसंबर से लेकर अब तक करीब 5 लाख करोड़ रुपए की संभावना है।


देशभर के 1 लाख टूरिस्ट गाइड पर कोरोना की मार
प्रणब सरकार ने मनी भास्कर से बातचीत में बताया है कि देशभर में करीब 1 लाख के आसपास टूरिस्ट गाइड हैं जिनकी रोजी-रोटी पूरी तरह टूरिस्ट पर ही निर्भर रहती है। इसमें केन्द्र सरकार द्वारा लाइसेंस प्राप्त टूरिस्ट गाइड की संख्या साढ़े तीन हजार के आसपास है। वहीं, अलग-अलग राज्यों में राज्य सरकारों की ओर से लाइसेंस प्राप्त 4-6 हजार टूरिस्ट गाइड हैं।


अक्टूबर-मार्च में घरेलू यात्रा से 3 लाख करोड़ का होता है कारोबार
ऑनलाइन ट्रैवल एजेंसी ट्रिप एडवाइजर के मुताबिक, ट्रैवल इंडस्ट्री के लिए अक्टूबर से मार्च माह अहम होता है। भारत को पीक सीजन के दौरान घरेलू टूरिज्म इंडस्ट्री से करीब 3 लाख करोड़ रुपए का फायदा होता है। वहीं, विदेशी टूरिस्ट से देश काे करीब 28 बिलियन डाॅलर के आसपास का राजस्व होता है, जिसमें 80 फीसदी कारोबार सिर्फ अक्टूबर से मार्च माह में ही होता है।


टूरिज्म क्षेत्र से संबंधित एक एक्सपर्ट अनिल वर्मा बताते हैं, 'हम जानते हैं कि महामारी से बचने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग ही एकमात्र कारगर उपाय है। संक्रमण को रोकने के लिए अभी तक कोई वैक्सिनेशन नहीं आई है। ऐसे में लाॅकडाउन खत्म होने के बाद भी लोग यात्रा करने से बचेंगे। महामारी ने लोग भीड़भाड़ वाले जगहों पर नहीं जाएंगे। वे सिर्फ जरूरी यात्रा ही करेंगे। ऐसे में सबकुछ पहले की तरह सामान्य होने में 18 माह का समय लग सकता है।'


होटल इंडस्ट्री को 1.10 लाख करोड़ रुपए का नुकसान
बता दें कि टूरिज्म इंडस्ट्री डायरेक्ट तौर पर ट्रैवल, होटल और रेस्टोरेंट के उद्योग से संबंधित हैं। ऐसे में इस समय ये बुरी तरफ से प्रभावित हैं। इंडियास्पेंड.काॅम के मुताबिक, कोरोना के बाद हुए लॉकडाउन की वजह से बड़े होटल व रेस्तरां उद्योग को करीब 1.10 लाख करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ेगा। ट्रैवल एजेंट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (TAAI) के प्रेसिडेंट मो. इकबाल के मुताबिक, ऑनलाइन ट्रेवल एजेंसियों को करीब 4,312 करोड़ रुपए का नुकसान होगा। टूर ऑपरेटर्स को करीब 25,000 करोड़, एडवेंचर टूर ऑपरेटर्स को करीब 19,000 करोड़ और क्रूज टूरिजम को करीब 419 करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ेगा। बता दें कि 2018-19 में होटल इंडस्ट्री का रेवेन्यू 3.5% ग्रोथ के साथ 10 हजार 30 करोड़ रुपए रहा था। होटल्स के रेवेन्यू में विदेशी पर्यटकों, फूड एंड बेवरेजेज का ज्यादा शेयर रहता है। लेकिन, कोरोनावायरस की वजह से इस सेगमेंट पर काफी ज्यादा असर पड़ेगा।


वर्चुअल होगा होटल इंडस्ट्री का कारोबार
सोशल डिस्टेंसिंग के चलते कई फाइव स्टोर होटल्स ने कारोबार के तरीकों को बदला है। नोएडा स्थित फाइव स्टार होटल क्राउन प्लाजा ने ग्राहकों के लिए वर्चुअल रियालिटी एक्सपीरियंस सेंटर को लाॅन्च कर दिया है। इसके जरिए ग्राहक बगैर होटल में गए ही होटल के बारे में सभी जानकारी ले पाएंगे। वे रूम्स से लेकर होटल बार मेन्यू तक यहां कि बैन्कवेट हाॅल में वर्चुअल विजिट कर सकेंगे। वहीं ताज, नोवोटेल और हयात जैसे फाइव स्टार होटलों ने आनलाइन फूड की डिलीवरी शुरू कर दी है। इसके लिए जोमैटो और स्विगी से टाइअप किया गया है।