कोरोना: संयुक्त राष्ट्र ने कहा, वैश्विक आर्थिक मंदी से इस साल हो सकती है हजारों बच्चों की मौत

संयुक्त राष्ट्र ने बच्चों पर कोरोना वायरस के प्रभाव के आकलन में कहा है कि इस महामारी से उत्पन्न होने वाली वैश्विक मंदी के कारण इस साल हजारों बच्चों की मौत हो सकती है। इसमें कहा गया है कि इससे शिशु मृत्यु दर को कम करने के प्रयासों को झटका लग सकता है।
आकलन में कहा गया है कि अनुमानित 4.2 से 4.6 करोड़ बच्चे इस साल संकट के परिणामस्वरूप अत्यधिक गरीबी की चपेट में आ सकते हैं। 2019 में पहले से ही 38.6 करोड़ बच्चे अत्यधिक गरीबी के शिकार थे। संयुक्त राष्ट्र द्वारा गुरुवार को जारी पॉलिसी ब्रीफ: द इम्पेक्ट आफ कोविड-19 ऑन चिल्ड्रन’ में कहा गया है, ‘बच्चे इस महामारी का सामना नहीं कर रहे हैं। लेकिन उन्हें कोरोना वायरस का खतरा है। हालांकि शुक्र है कि वे कोरोना वायरस के प्रत्यक्ष स्वास्थ्य प्रभावों से बचे हुए हैं।’ 


हजारों बच्चों की मृत्यु का कारण बन सकती है आर्थिक मंदी
बाल अस्तित्व और स्वास्थ्य के लिए खतरों पर इसमें कहा गया है, ‘वैश्विक आर्थिक मंदी के परिणामस्वरूप परिवारों के सामने आई आर्थिक कठिनाई 2020 में अतिरिक्त हजारों बच्चों की मृत्यु का कारण बन सकती है, जो एक ही वर्ष के भीतर शिशु मृत्यु दर को कम करने में पिछले दो से तीन वर्षों के प्रयासों को प्रभावित कर सकती है।’


188 देशों में शिक्षा संकट बढ़ा
महामारी के कारण 188 देशों में शिक्षा के संकट को भी बढ़ा दिया है और पूरे देश में स्कूलों को बंद करना पड़ा है जिससे 1.5 अरब से अधिक बच्चे और युवा प्रभावित हुए हैं। अमेरिका के जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय के आंकड़ों के अनुसार दुनियाभर में कोरोना वायरस के मामलों की संख्या 20 लाख से अधिक हो गई है और इससे अब तक 1,44,000 लोगों की मौत हो चुकी है। 


अमेरिका सबसे प्रभावित देश
अमेरिका कोविड-19 से सबसे प्रभावित देश है जहां 6,70,000 से अधिक मामले सामने आए हैं और 33,000 लोगों की मौत हुई है। इसमें कहा गया है कि 143 देशों के 36.85 करोड़ बच्चों में कुपोषण बढ़ने की आशंका है। ऐसे बच्चे सामान्य रूप से दैनिक पोषण के एक विश्वसनीय स्रोत के लिए स्कूल के मध्यान्ह भोजन पर निर्भर होते हैं, अब उन्हें अन्य स्रोतों को देखना होगा।