प्रोविडेंड फंड खाते से 5 साल से पहले पैसे निकलने पर कर्मचारियों को नहीं देना होगा इनकम टैक्स

नई दिल्ली. कोरोनावायरस संकट के दौरान लोगों को पैसों की समस्या न हो इसके लिए कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) खाते से पैसे निकालने के नियमों का आसान बनाया है। इसके तहत अब आप ईपीएफ खाते के 5 साल पूरे न होने पर भी पैसे निकाल सकेंगे और इसके लिए अब आपको कोई टैक्स नहीं देना होगा। इससे पहले भी ईपीएफओ ने ईपीएफ खाते से पैसे निकलने के नियमों में कई बदलाव किए थे। 
पहले क्या थे पीएफ निकासी इनकम टैक्स के नियम?
कर्मचारी को यदि किसी कंपनी में सेवाएं देते 5 साल पूरे हो जाते हैं और वो ईपीएफ निकालता है तो उस पर इनकम टैक्स की कोई लायबिलिटी नहीं होती। 5 साल की अवधि एक या इससे ज्यादा कंपनियों को मिलाकर भी हो सकती है। एक ही कंपनी में 5 साल पूरे करना जरूरी नहीं। कुल अवधि कम से कम 5 साल होना जरूरी होता है। यदि किसी कर्मचारी की खराब सेहत, बिजनेस बंद होने या ऐसे किसी दूसरे कारण से नौकरी जाती है और 5 साल की अवधि पूरी हो पाती, तब भी उस पर इनकम  टैक्स लायबिलिटी नहीं होती। पांच साल की अवधि पूरी न होने पर टीडीएस और टैक्स 10% कटता है। 50 हजार या इससे ज्यादा अमाउंट है और अवधि पांच साल से कम है तो फॉर्म 15जी या 15एच जमा कर टीडीएस से बचा जा सकता है।


10 दिन में 1.37 लाख विड्रॉल क्लेम किए प्रोसेस
ईपीएफओ ने 10 अप्रैल को जानकारी दी कि उसने 1.37 लाख प्रोविडेंट फंड्र विड्रॉल क्लेम के तहत 280 करोड़ रुपए प्रोसेस कर दिया है। श्रम मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा, 'EPFO ने 1.37 लाख क्लेम को प्रोसेस कर दिया है, जिसमें 279.65 करोड़ रुपए जारी किए जा चुके हैं। 


72 घंटों के अदंर प्रोसेस हो रहा क्लेम
श्रम मंत्रालय के मुताबिक, भुगतान जारी करने की प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है। ईपीएफओ ने इन क्लेम्स को बीते 10 दिन मे ही सेटल किया है। फिलहाल फुल केवाईसी वाले अकाउंट्स को 72 घंटों के लिए अंदर एप्लीकेशन को प्रोसेस करने का काम चल रहा है।


कितनी रकम निकाल सकते हैं?
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ने हाल में करीब 8 करोड़ ईपीएफ खाताधारकों को राहत देते हुए उनके जमा की एडवांस निकासी की सुविधा दी है। ईपीएफओ ने इसके लिए ईपीएफ स्कीम-1952 में बदलाव करते हुए यह कहा कि कर्मचारी अपने खाते में जमा रकम का 75 फीसदी या तीन महीने के वेतन के बराबर रकम निकाल सकते हैं। इस रकम का इस्तेमाल कर्मचारी अपनी जरूरतों के लिए कर सकते हैं और इसे फिर से जमा करने की जरूरत नहीं होगी।