रिलायंस ने कुछ कर्मचारियों की सैलरी में 10 प्रतिशत की कटौती की, मुकेश अंबानी सहित टॉप मैनेजमेंट की कटेगी ज्यादा सैलरी  

मुंबई. देश की दिग्गज कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) ने अपने हाइड्रोकार्बन डिवीजन में कुछ कर्मचारियों की सैलरी में 10 प्रतिशत की कटौती करने का फैसला किया है। इसके साथ ही कंपनी के बोर्ड के डाइरेक्टरों के साथ टॉप मैनेजमेंट की सैलरी में ज्यादा कटौती होगी। यह फैसला आज बोर्ड मीटिंग में लिया गया है। आज ही कंपनी का फाइनेंशिल रिजल्ट भी है।


मुकेश अंबानी से ज्यादा अन्य अधिकारियों की सैलरी


बता दें कि मुकेश अंबानी की फिलहाल सालाना सैलरी 15 करोड़ रुपए है और लगातार 11 साल तक उनकी सैलरी नहीं बढ़ी है। उनका अंतिम इंक्रीमेंट 2008-09 में हुआ था। उसी समय उनकी सैलरी 15 करोड़ रुपए की गई थी। इसी 15 करोड़ में उनका भत्ता भी शामिल है जो 4.45 करोड़ रुपए है। जबकि सैलरी में ही 9.53 करोड़ रुपए कमीशन है। हालांकि इस दौरान मुकेश अंबानी के चचेरे भाई निखिल मेसवानी और हितल मेसवानी की सैलरी में इजाफा हुआ है। पिछले वित्तीय वर्ष में निखिल को 20.57 करोड़ रुपए और हितल को 19.99 करोड़ रुपए सैलरी मिली है। कंपनी के कार्यकारी निदेशक पी.एम.एस प्रसाद का सैलरी पैकेज 10 करोड़ रुपए से ज्यादा है।  


कई सालों से मुकेश अंबानी की नहीं बढ़ी है सैलरी


सूत्रों के मुताबिक टॉप मैनेजमेंट या बोर्ड में शामिल डाइरेक्टरों की सेलरी में 30 से 50 प्रतिशत की कटौती हो सकती है। इसके अलावा कंपनी के चेयरमैन मुकेश अंबानी अपनी पूरी सेलरी छोड़ सकते हैं। एशिया के सबसे धनवान उद्योगपति मुकेश अंबानी वैसे भी कम सेलरी लेते हैं और कई सालों से उनकी सेलरी में कोई इजाफा नहीं हुआ है। सेलरी में इस कटौती के पत्र पर कंपनी के ईडी हितल आर मेसवानी ने साइन किया है।  


हाइड्रोकार्बन विभाग के कर्मचारियों की कटेगी सैलरी


जानकारी के मुताबिक सैलरी में कटौती हाइड्रोकार्बन विभाग के उन सभी कर्मचारियों पर लागू होगी जिनकी सैलरी सालाना 15 लाख रुपए से ज्यादा होगी। जिन कर्मचारियों की सैलरी उससे कम होगी, उन पर इस फैसले का कोई असर नहीं होगा। कोविड-19 की वजह से हाइड्रोकार्बन बिजनेस बुरी तरह प्रभावित हुआ है। इस प्रोडक्ट की मांग पर काफी असर देखा गया है।


कैश और बोनस से जुड़े इंसेंटिव भी होंगे प्रभावित


सालाना कैश बोनस और प्रदर्शन से जुड़े इंसेंटिव पर भी इस फैसले का असर होगा। आमतौर पर बोनस और अन्य इंसेंटिव पहली तिमाही में दिए जाते हैं। पर अब इसे कुछ समय के लिए टाला जा सकता है या फिर कट किया जा सकता है। पत्र के मुताबिक आर्थिक और बिजनेस गतिविधियों पर करीब से नजर रखी जा रही है और स्थितियों का पुनर्मूल्यांकन हो रहा है।