वुहान चीन के वुहान शहर में लॉकडाउन खत्म हो चुका है। कोरोना काल के दौरान यहां रहने वाले भारतीय मूल के नागरिक भी वापस से काम पर लौटने लगे हैं। ये वही साहसी लोग हैं, जिन्होंने मुश्किल के दौर में भी वुहान शहर को नहीं छोड़ा। हालांकि, अब इन लोगों को कोरोना वायरस के वापस लौटने का डर सताने लगा है। इन्हें अंदेशा है कि दोबारा लौटने वाले संक्रमण में किसी भी तरह के लक्षण नहीं दिखाई देंगे।
दरअसल चीन में कोरोना वायरस के कई एसिंप्टोमेटिक केस सामने आए हैं। एसिंप्टोमेटिक को आसान भाषा में समझें तो वह बीमारी जिसमें कोई लक्षण नहीं दिखते हैं। बता दें कि चीन का वुहान वही शहर है, जहां कोरोना वायरस का जन्म हुआ था। यहां चीन की सरकार की तरफ से 76 दिनों का लॉकडाउन लगाया गया था। कोरोना वायरस महामारी के उपकेंद्र पर केंद्रीय चीनी शहर वुहान, रविवार को वैश्विक सुर्खियों में बना हुआ था, क्योंकि आखिरी कोरोना वायरस के मरीज को यहां छुट्टी दे दी गई थी, जो इस महामारी के खिलाफ शहर की लड़ाई में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। जबकि, दुनिया के बाकी देश अभी भी इस न दिखने वाले दुश्मन से लड़ रहे हैं। दुनिया भर में इस खतरनाक बीमारी से दो लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, जिसके कारण ज्यादा तर देशों में इस समय लॉकडाउन है।
वुहान में पिछले साल दिसंबर महीने में यह वायरस पाया गया, जिसके बाद 11 मिलियन लोगों को लॉकडाउन में डाल दिया गया। यहां 50,333 मामलों और 3,869 मौतों के साथ कोरोना वायरस ने आग की तरह फैलना शुरू किया था।
वुहान, जो साल 2018 में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच ऐतिहासिक पहली अनौपचारिक शिखर बैठक के लिए भारत में प्रसिद्ध हुआ, वह चीन के कुछ प्रसिद्ध वैज्ञानिक अनुसंधान केंद्रों और प्रयोगशालाओं के साथ एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय शैक्षिक केंद्र और औद्योगिक केंद्र के लिए भी पहचाना जाता है। यही कारण है कि यह भारत के छात्रों को आकर्षित करता है।
वायरस के प्रकोप के बाद, भारत सरकार की तरफ से उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए फरवरी में 600 से अधिक भारतीय छात्रों और पेशेवरों को निकाला गया था, लेकिन कुछ भारतीयों ने पेशेवर और व्यक्तिगत कारणों से संकट को हल करने का विकल्प चुना।