संयुक्त राष्ट्र के एक शोध ने दिल दहलाने देने वाला खुलासा किया है। शोध में बताया गया है कि जंगल काटने, मछलियों के ज्यादा पकड़ने, विकास और दूसरी मानवीय क्रियाओं की वजह से कई प्रजातियां विलुप्त होने के कगार पर हैं।
इंसानों के लालच की वजह से दुनिया में दस लाख से ज्यादा प्रजातियों के अगले कुछ सालों में विलुप्त होने की संभावना है और इसके गंभीर परिणाम इंसानों के साथ साथ प्रकृति के अन्य जीवों को भी देखने पड़ेंगे।
ग्लोबल एसेसमेंट रिपोर्ट की सह शोधकर्ता सेंड्रा डियाज का कहना है कि इसके पुख्ता सबूत है कि हमारी प्रकृति खतरे में है इसलिए हम सब भी खतरे में हैं। ये शोध 1,500 पृष्ठों का है, जिसका 40 पृष्ठों का एक हिस्सा 'नीतिकारों के लिए संक्षेप में' नाम से छह मई को पेरिस में छापा गया है।
रिपोर्ट में पहली बार वैज्ञानिक शोध के साथ साथ स्वदेशी और स्थानीय ज्ञान को शामिल किया गया है। शोधकर्ताओं का कहना है कि शोध में इस बात का पुख्ता सबूत है कि प्रकृति के पतन होने के पीछे इंसानों का हाथ है।
शोध में प्रजातियों के खत्म होने के पीछे शोधकर्ताओं ने भूमि कटाव, जंगलों को काटना, ज्यादा मछलियों का पकड़ना, अवैध शिकार, जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण जैसे तत्वों को कारण बताया है।
लगभग 87 लाख या उससे ज्यादा प्रजातियां ऐसी हैं जो हमारे जीवन सहायक सुरक्षा जाल को बनाती है। परिस्थितिकी विज्ञानी डियाज के मुताबिक ये प्रजातियां इंसानों को खाना, साफ पानी, साफ हवा, ऊर्जा और कई सुविधाएं उपलब्ध कराती हैं।
आगे पढ़ने के लिए लॉगिन या रजिस्टर करें
अमर उजाला प्रीमियम लेख सिर्फ रजिस्टर्ड पाठकों के लिए ही उपलब्ध हैं