मुंबई. देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने अपने ग्राहकों को तोहफा देते हुए ब्याज दरें घटाने का ऐलान किया है। बैंक ने कर्ज पर ब्याज दरों में 0.15 फीसदी की कटौती की है। अब ब्याज दरें 7.40 फीसदी से घटकर 7.25 फीसदी पर आ गई हैं। इसके साथ ही उसने ग्राहकों की डिपॉजिट पर भी 0.20 प्रतिशत ब्याज दरें घटा दी हैं। कर्ज पर ब्याज दरें घटने से मासिक किश्त में 255 रुपए की कमी आएगी।
आरबीआई ने मार्च में घटाया था दर
कर्ज पर नई दरें 10 मई से और एफडी पर नई दरें 12 मई से लागू होंगी। बता दें कि आरबीआई ने मार्च में ही रेपो रेट 0.75 प्रतिशत घटाया था। आरबीआई अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए मार्च में रेपो रेट 0.75 फीसदी तक घटाया था। बैंक द्वारा एमसीएलआर में लगातार 12वीं और वित्त वर्ष 2020-21 की दूसरी कटौती है। जबकि मार्च से अब तक एफडी की दरों में तीन बार कटौती की गई है। इससे पहले अप्रैल में एसबीआई ने ब्याज दरों में 0.35 फीसदी की कटौती की थी। इस फैसले के बाद एमसीएलआर पर आधारित लोन पर ईएमआई घट जाएंगी।
7 से 45 दिन की एफडी पर 3.5 प्रतिशत ब्याज
एसबीआई ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है। इसी तरह एफडी की ब्याज दरों में भी एसबीआई ने कटौती की है। नई दरों के मुताबिक 3 साल की एफडी पर दरें 0.20 फीसदी तक कम हो गई है। वर्तमान में एसबीआई 7 दिन से 45 दिन की एफडी पर 3.5 फीसदी की दर से ब्याज दे रहा है। जबकि 46 दिन से 179 दिन के लिए यह 4.5 फीसदी और 180 दिन से लेकर एक साल से कम अवधि के लिए यह 5 प्रतिशत है।
25 लाख रुपए और 30 साल की अवधि के कर्ज पर बचेगा 225 रुपए मासिक
ब्याज दरों में इस कटौती के बाद जिन ग्राहकों का अकाउंट एमसीएलआर से जुड़ा है, वे इसका फायदा पाएंगे। उदाहरण के लिए अगर किसी ने 25 लाख रुपए का कर्ज 30 साल के लिए लिया है तो उसकी ईएमआई 225 रुपए कम हो जाएगी। वरिष्ठ नागरिकों के लिए एसबीआई ने नई डिपॉजिट स्कीम पेश किया है, जिसे एसबीआई वी केयर डिपॉजिट नाम दिया गया है। बता दें कि होम लोन में एसबीआई की 34 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी है जबकि ऑटो लोन में 34.86 प्रतिशत हिस्सेदारी है। दिसंबर 2019 तक बैंक की कुल 31 लाख करोड़ रुपए की डिपॉजिट थी।
2016 से एमसीएलआर का नया फार्मूला लागू है
आरबीआई द्वारा बैंकों के लिए तय फॉर्मूला फंड की मार्जिनल कॉस्ट पर आधारित है। इस फॉर्मूले का उद्देश्य ग्राहक को कम ब्याज दर का फायदा देना और बैकों के लिए ब्याज दर तय करने की प्रक्रिया में पारदर्शिता लाना है। अप्रैल, 2016 से ही बैंक नए फॉर्मूले के तहत मार्जिनल कॉस्ट से लेंडिंग रेट तय कर रहे हैं। एमसीएलआर फॉर्मूले का फायदा नए और पुराने दोनों ग्राहकों को मिलता है। जिस ग्राहक ने एमसीएलआर बदलने से पहले लोन लिया है और उसका लोन लेंडिंग रेट फॉर्मूले से जुड़ा हुआ है, तो एमसीएलआर घटने के साथ ही उसकी ईएमआई कम हो जाती है।
जब भी बैंक उधारी पर ब्याज तय करते हैं, तो वे बदली हुई स्थितियों में खर्च और मार्जिनल लागत भी गणना करते हैं। एमसीएलआर को तय करने के लिए चार फैक्टर को ध्यान में रखा जाता है। इसमें फंड का अतिरिक्त चार्ज भी शामिल होता है। निगेटिव कैरी ऑन सीआरआर भी शामिल होता है।