कोरोना के बहाने महाराष्ट्र की सियासत गर्म


कोरोना वायरस से सर्वाधिक प्रभावित महाराष्ट्र में अब सियासत तेज हो गई है। भाजपा ने उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार को घेरना शुरू कर दिया है। इसके साथ ही सरकार पर फिर से संकट के बादल मंडराते नजर आ रहे हैं। भाजपा के वरिष्ठ नेता देवेंद्र फडणवीस ने ताजा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जहां सरकार की जमकर खिंचाई की, वहीं यह भी साफ किया कि उनकी सरकार बदलने में कोई रुचि नहीं है। पूर्व सीएम फडणवीस ने कहा, 'प्रदेश सरकार अभी तक केंद्र की ओर से मुहैया कराई गई आर्थिक सहायता भी खर्च नहीं कर पाई है। मुझे समझ नहीं आता कि राज्य सरकार की प्राथमिकता क्या है? मौजूदा समय में महाराष्ट्र को सकारात्मक नेतृत्व की जरुरत है। मैं उम्मीद करता हूं कि उद्धव ठाकरे प्रदेश हित में सही फैसले लेंगे।' 


इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कोरोना संकट के मद्देनजर हमारी प्रदेश सरकार को बदलने में कोई रुचि नहीं है। हम कोरोना संक्रमण के खिलाफ लड़ रहे हैं और इसकी खातिर प्रदेश सरकार पर दबाब बनाना चाहते हैं। हमारी राज्य सरकार को कमजोर करने की कोई मंशा नहीं है। लेकिन, हालात ये है कि मौजूदा सरकार अपने बोझ से ही लुढ़क जाएगी। सरकार को गिराने का हम कोई प्रयास नहीं कर रहे हैं। 


दरअसल, एनसीपी प्रमुख शरद पवार और भाजपा नेता नारायण राणे की सोमवार को राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से अलग-अलग मुलाकात हुई थी। इसके बाद प्रदेश में सियासी हलचल और तेज हो गई। नारायण राणे ने तो राज्य में कोरोना के बढ़ते असर के मद्देनजर राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग की है। उधर, कांग्रेस का कहना है कि सत्ता से बाहर होना भाजपा को पच नहीं रहा है, इसलिए सरकार को किसी तरह गिराना चाहते हैं। इसके साथ ही शिवसेना के नेता संजय राउत ने साफ कर दिया है कि गठबंधन सरकार मजबूत है और कोई चिंता की बात नहीं है।